जब-जब भी मुझे जन्म प्राप्त करना पड़े, तब-तब श्री राम के चरणों में ही अनुराग मिले

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  • Jeevan Mantra

अर्थ न धर्म न काम रुचि गति न चहउँ निरबान।

जन्म-जन्म रति राम पद यह बरदानु न आन॥

          

भरत जी, राम के अनुराग में इतने रम गए कि अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष की स्थिति से परे हो गए। वे कहते हैं, केवल एक ही जन्म की बात नहीं है, जब-जब भी मुझे जन्म प्राप्त करना पड़े, तब-तब श्री राम के चरणों में ही अनुराग मिले।

 

    स्वामी सत्यमित्रानंद गिरि

 

( गुरुदेव की प्रवचन मंजूषा से ) ॐ

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