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हरि भक्त को हल्के में लेते हैं, वे आसमान से जमीन पर आ टपकते हैं, सत्य है- "हरि भक्तन के बैरी बिन मारे मर जाएं!"
हरि कौ सब ऐसौ ही खेल, यौं पंछिन में ढेल, जैसे एक कंकड़ी के गिरते ही सारे पक्षी उड़न छू हो जाते हैं
वैसे ही धन, पद और यौवन एक क्षण में चले जाते हैं, अतः इन तीनों का कभी अभिमान न करें, कभी भी जा सकते हैं!
जिसे जो दायित्व मिला है, ईश्वर प्रदत्त है, माध्यम कोई भी रहा हो, सत्य/निष्ठा संदिग्ध रही तो नहीं छोड़ता बंसीवारा!
सच्चा भजन- कोई झुका नहीं सकता जग में, अपने हरि का झंडा, जो इसको छेड़ेगा, उसके सर पे पड़ेगा डंडा!
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