जीएसटी के सरलीकरण की मांग

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रसिक चतुर्वेदी

मथुरा 22 फरवरी 2021

फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया व्यापार मंडल मथुरा ने जीएसटी सरलीकरण की मांग को लेकर प्रधानमंत्री के नाम संबोधित ज्ञापन जिला अधिकारी को सौंपा।

जिले में दौरे पर होने की कारण से स्थान पर जिलाधिकारी कार्यालय में ज्ञापन एसडीएम ने रिसीव किया।

ज्ञापन देने वालों में जिला अध्यक्ष अजय कुमार अग्रवाल, जिला महामंत्री सुभाष सैनी, जिला उपाध्यक्ष रामदास चतुर्वेदी, जिला मंत्री अरविंद चोधरी, महानगर महामंत्री सौरभ, सदस्य राकेश तोमर, मुकेश सारस्वत, विपिन गुप्ता, कान्हा महावर आदि उपस्थित रहे।

प्रधानमंत्री से भारत के व्यापारियों का आग्रह द्वारा जिलाधिकारी मथुरा आत्मनिर्भर भारत के लिए जीएसटी में संरचनात्मक परिवर्तन कर नया संस्करण लाए सरकार प्रधानमंत्री आपके कुशल एवं दूरदर्शी नेतृत्व मे आज राष्ट्र आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर है और वह दिन दूर नहीं है जब $5 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था के साथ भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में उभरेगा।

आत्मनिर्भरता के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए नियम एवं कानून का सरल तथा सहज होना अति आवश्यक है।

आपकी सरकार द्वारा जैसा पूर्व में कार्यवाही कर सुगमता हासिल करने के लिए अनेकों कानूनों में संरचनात्मक परिवर्तन कर उनके नए संस्करण लाए गए हैं।

राजस्व संग्रह के निर्धारित लक्ष्य हेतु इस प्रकार इस कर कानून की संरचना की जाए कि करदाता मजबूरी में नहीं बल्कि सुरक्षा एवं पूर्ण ईमानदारी के साथ अपने कर दायित्व का निर्वाह कर सकें।

जुलाई 2017 में देश में सदी के सबसे बड़े टैक्स नियमों के रूप में जब जीएसटी को लागू किया गया था। देश ने बड़े उत्साह के साथ नई कर प्रणाली का स्वागत किया था और अपेक्षा की थी, कि नई कर प्रणाली सरल होगी कर चोरी पर रोकथाम लगेगी एवं बिना किसी रूकावट के इनपुट टैक्स क्रेडिट मिलना है इत्यादि इत्यादि।

छोटे व्यापारियों के लिए वर्तमान जीएसटी प्रणाली एक बहुत बड़ी परेशानी बन चुकी है। कर अनुपालन इतना पेचीदा हो चला है। कि व्यापारी जीएसटी का अनुपालन में अपना आत्मविश्वास खो बैठा है और एक अनजाने डर के चलते कुछ ना कुछ गलती कर बैठता है। यह सर्वविदित सिद्धांत है कि सरल कानून में करण पालन से कर अनुपालन एवं कर संग्रह सदैव ज्यादा होता है।

सरकार ने भी करदाताओं की कठिनाई को संज्ञान में लेते हुए विगत 42 माह में वर्तमान जीएसटी में एक हजार के लगभग बदलाव किए पर कर चोरी एवं फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट की घटनाएँ अभी अपनी चरम सीमा पर है और दिन प्रतिदिन विभाग इस प्रकार के पंजीकरण की रोकथाम में लगा हुआ है। इस फर्जी करण के चलते ईमानदार व्यापारी डंडे खा रहे हैं क्योंकि व्यापारियों को इनपुट टैक्स क्रेडिट तब तक नहीं मिलता है।

जब तक विक्रेता व्यापारी अपनी विवरणी दाखिल ना कर दें। अन्यथा उसकी गलती की सजा और क्रेता ईमानदार व्यापारी को मिलेगी। जो विक्रेता व्यापारी को अपना पूरा जीएसटी भुगतान कर चुका है। बैंक में फ्रॉड होना कोई आश्चर्य का विषय नहीं है।

पर उस पर वोट की रकम बैंक अपनी जमाकर्ताओं से नही वसूलता है जबकि वर्तमान जीएसटी में किसी अन्य व्यक्ति द्वारा की गई कर में धोखाधड़ी की सजा एक ईमानदार व्यापारी को भुगतनी पड़ती है वर्तमान जीएसटी में व्यापारी द्वारा की गई अनजाने मानवीय त्रुटि पर सुधार का अवसर देने के स्थान पर सीधा-सीधा दंड एवं पंजीकरण रद्द करने के प्रावधान हैं।

कंपनीज एक्ट में छोटी कंपनियों पर बड़ी कंपनियों के मुकाबले कम  एवं सरल अनुपालन है। इसके ठीक विपरीत जीएसटी में संशोधन से सुसज्जित बड़े उद्योगपतियों में एवं संसाधन नहीं छोटे व्यापारियों को एक समान अनुपालन करना पड़ता है। जबकि दोनों की क्षमता एवं इंफ्रास्ट्रक्चर भिन्न-भिन्न है।

अब यह अति आवश्यक हो गया है कि विगत 42 माह के अनुभव के आधार पर जीएसटी के सभी कानूनों का पुनर्मूल्यांकन कर संरचनात्मक परिवर्तन करके जीएसटी का नया संस्करण (version) पुनः लिखा जाए और यही मांग हम इस अनुरोध पत्र के माध्यम से आप से कर रहे हैं।

जीएसटी का नया संस्करण इस प्रकार लिखा जाए की कर चोरी रोकने हेतु सक्षम हो, सरकार को ज्यादा राजस्व प्राप्त हो एवं व्यापारी वर्ग सुगम अनुपालन से अपना कर दायित्व का निर्वहन करने के लिए प्रोत्साहित हो।

जीएसटी का नया संस्करण विदेशी निवेश को आकर्षित करने के लिए इस प्रकार लिखा जाए कि निवेशकों को यह विश्वास हो जाए की भारत में कर कानूनों में स्थिरता आएगी और आगामी 5- 10 वर्षों तक जीएसटी कानून में कोई मूलभूत परिवर्तन की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

जीएसटी के नए संस्करण लिखने की प्रक्रिया में उद्योग- संगठनों के साथ-साथ खुदरा व्यापारियों के संगठन की भी भागीदारी हो और एक इतनी प्रगतिशील कर प्रणाली का निर्माण हो कि आप के नेतृत्व में राष्ट्र के विकास की इस राह में राष्ट्र का लघु व्यापारी भी अपनी सहभागिता सुनिश्चित कर सके। एवं एक सरल सहज कर प्रणाली से राष्ट्र निर्माण में अपने कर दायित्व का पूर्ण ईमानदारी से निर्वाह कर सकें।

राष्ट्र के  सबसे अग्रणी व्यापारिक संगठन, फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया व्यापार मंडल द्वारा एक ऐसा प्रेजेंटेशन तैयार किया गया है जिसमें कर चोरी पर रोकथाम लगेगी, सरकार को अधिकतम राजस्व प्राप्त होगा और छोटे व्यापारियों को जीएसटी के अनुपालन में भी कोई भी कठिनाई नहीं होगी। यदि उचित लगे तो वह प्रेजेंटेशन हम सरकार को देने के आतुर हैं।

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