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जिला विधिक सेवा प्राधिकरण जनपद न्यायालय मथुरा 

ऑनलाइन निरीक्षण एवं विधिक साक्षरता शिविर का आयोजन राजकीय संप्रेक्षण गृह किशोर मथुरा

माननीय जनपद न्यायाधीश मथुरा श्री यशवंत कुमार मिश्र के निर्देशानुसार आज दिनांक 4 अगस्त 2021 को प्रातः 11:30 बजे से कोविड-19 को दृष्टिगत रखते हुए ऑनलाइन निरीक्षण एवं विधिक साक्षरता शिविर का आयोजन जनपद न्यायालय मथुरा से मोबाइल व्हाट्सएप वीडियो कॉलिंग के माध्यम से राजकीय संप्रेक्षण गृह (किशोर) मथुरा में किया गया। इस ऑनलाइन विधिक साक्षरता शिविर की अध्यक्षता सुश्री सोनिका वर्मा सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण मथुरा द्वारा की गई। इस अवसर पर राजकीय संप्रेक्षण गृह (किशोर) मथुरा के प्रभारी श्री हरीश चंद्र वर्मा उपस्थित रहे।

राजकीय संप्रेक्षण गृह (किशोर) मथुरा के प्रभारी श्री हरीश चंद्र वर्मा द्वारा बताया गया कि राजकीय संप्रेक्षण गृह मथुरा में कुल 93 किशोर निरूद्ध हैं जिनमें जनपद मथुरा के 67 तथा हाथरस के 26 किशोर हैं। किशोरों की संख्या अधिक होने के कारण कोविड-19 के नियमों का पालन पूर्णतः नहीं हो पा रहा है। किशोरों की शिक्षा हेतु दो अध्यापक प्रतिदिन संस्था में आकर किशोरों को शिक्षण कार्य कराते हैं। संस्था में तीन किशोरों का स्वास्थ्य ठीक न होने के कारण चिकित्सक की सलाह पर जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है जहां उनका उपचार किया जा रहा है। जिला चिकित्सालय मथुरा के डॉक्टर द्वारा कल दिनांक 3 अगस्त 2021 को संस्था में उपस्थित होकर किशोरों का चिकित्सीय परीक्षण किया गया था। संस्था में निरुद्ध किशोरों को संस्था में रहते हुए मोबाइल रिपेयरिंग का प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

वर्तमान में कोई किशोर अथवा संस्था का कर्मचारी कोरोना पॉजिटिव नहीं है। संस्था में प्रतिदिन सुबह-शाम साफ-सफाई कराई जाती है। प्रतिदिन सैनिटाइजर कराया जाता है तथा फिनायल का पोछा लगाया जाता है। सभी किशोरों व कर्मचारियों द्वारा हैंड वॉश अथवा साबुन से बार-बार हाथ धोए जाते हैं। संस्था में प्रवेश करने वाले व्यक्ति को मुख्य गेट पर थर्मल स्क्रीनिंग एवं सैनिटाइज किया जाता है। सभी किशोरों को मास्क का प्रयोग कराया जा रहा है। नवीन किशोरों को प्रवेश के 15 दिन तक अलग कक्ष में क्वारंटाइन रूप में रखा जाता है तथा जांच की रिपोर्ट नेगेटिव आने पर उन्हें अन्य किशोरों के साथ रहने की अनुमति दी जाती है। कोविड जांच के लिए प्रथक से चिकित्सक आते हैं।

विधिक साक्षरता शिविर की अध्यक्षता करते हुए सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण मथुरा सुश्री सोनिका वर्मा द्वारा उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना 2021 के संबंध में विस्तृत जानकारी देते हुए बताया गया कि कोविड-19 में जो बच्चे अपने माता-पिता को खो चुके हैं उनके जीवन को संवारने के लिए उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना 2021 का शुभारंभ किया गया है। इस तत्परता का मूल उद्देश्य परेशान बच्चों को तत्काल मदद पहुंचाना है और उनको गलत हाथों में जाने से बचाना है। इस योजना के तहत अनाथ हुए बच्चों के भरण पोषण, शिक्षा, चिकित्सा आदि की व्यवस्थाओं का पूरा ख्याल शासन के द्वारा रखा जाएगा। उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना के अंतर्गत जिन बच्चों को लाभान्वित किया जाना है उनकी श्रेणी तय कर दी गई है। इस योजना में 0 से 18 वर्ष के ऐसे बच्चे शामिल किए जाएंगे जिनके माता-पिता दोनों की मृत्यु कोविड-19 के कारण हुई हो या माता-पिता में से एक की मृत्यु मार्च 2020 से पहले हो गई थी और दूसरे की मृत्यु कोविड काल में हो गई अथवा दोनों की मृत्यु 1 मार्च 2020 से पहले हो गई थी और वैध संरक्षण की मृत्यु कोविड काल में हो गई। इसके अतिरिक्त 0 से 18 वर्ष के ऐसे बच्चे जिनके माता-पिता में से किसी एक की मृत्यु कोविड काल में हो और वह परिवार का मुख्य कर्ताधर्ता हो और वर्तमान में जीवित में माता-पिता सहित परिवार की आय दो लाख रुपए से अधिक न हो। ऐसे लोगों को योजना में शामिल किया जाएगा।

यहां यह भी अवगत कराना है कि योजना की श्रेणी में आने वाले 0 से 10 वर्ष के बच्चों के वैद्य संरक्षण के बैंक खाते में ₹4000 प्रतिमाह दिए जाएंगे इसके अतिरिक्त जो बच्चे पूरी तरह से अनाथ हो गए हो और बाल कल्याण समिति के आदेश विभाग के तहत बाल्य देखभाल संस्थाओं में आवासित कराए गए हों, उनको कक्षा 6 से 12वीं तक की शिक्षा के लिए अटल आवासीय विद्यालयों व कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालयों में प्रवेश कराया जाएगा। इस योजना के तहत चयनित बालिकाओं के शादी के योग्य होने तक शादी के लिए ₹101000 दिए जाएंगे। बच्चों की चल अचल संपत्तियों की सुरक्षा के प्रबंध होंगे। इस योजना का लाभ लेने हेतु ग्राम विकास पंचायत अधिकारी, विकास खंड या जिला प्रोबेशन अधिकारी कार्यालय पर संपर्क किया जा सकता है।

किशोर न्याय (बालकों की देखरेख और संरक्षण) अधिनियम के संबंध में बताया गया कि इस अधिनियम के अंतर्गत धारा 2(12) के अनुसार बालक का अभिप्राय ऐसे व्यक्ति से है जिसने 18 वर्ष की आयु पूर्ण नहीं की है और धारा 2(13) के अनुसार विधि का उल्लंघन करने वाला बालक का अभिप्राय ऐसे बालक से है जिसका अपराध को कारित करना अभिकथित है या पाया जाता है और जिसने अपराध के कारित किए जाने की तारीख पर 18 वर्ष की आयु पूर्ण नहीं की है। इस अधिनियम के तहत 3 वर्ष की सजा का प्रावधान है। इस अधिनियम का उद्देश्य बालकों की देखरेख व संरक्षण करना है। सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण मथुरा द्वारा उपस्थित किशोरों को निशुल्क विधिक सहायता के संबंध में बताते हुए कहा गया कि यदि किसी किशोर को निशुल्क विधिक सहायता हेतु अधिवक्ता की आवश्यकता हो तो वह संस्था के अधीक्षक के माध्यम से अपना प्रार्थना पत्र प्रस्तुत कर सकता है। उपस्थित किशोरों को उक्त के अतिरिक्त पोक्सो अधिनियम के संबंध में भी जानकारी दी गई।

सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण मथुरा द्वारा कोरोना के प्रकोप को दृष्टिगत रखते हुए संस्था में निरुद्ध किशोर अपचारियों की सुरक्षा हेतु बताया गया कि इस महामारी के दौर में माननीय उच्च न्यायालय तथा केंद्र व राज्य सरकार द्वारा जारी गाइडलाइन का पालन करना हम सब का कर्तव्य है। किशोर अपराधियों के हित के लिए मास्क सैनिटाइजर का प्रयोग व सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना तथा सभी का समय-समय पर हाथ धोते रहना अति आवश्यक है।

कोरोना संक्रमण को दृष्टिगत रखते हुए सचिव सुश्री सोनिका वर्मा द्वारा निर्देशित किया गया कि पॉजिटिव पाए गए किशोर अपचारियों को अन्य से अलग कक्ष में मास्क के प्रयोग के साथ उचित दूरी पर रखा जाए तथा उनके स्वास्थ्य व चिकित्सक के परामर्श के अनुरूप भोजन व दवा आदि की व्यवस्था रहे। सदन की साफ-सफाई उचित प्रकार से नियमित रूप से की जाए। किशोरों से प्रथक प्रथक वार्ता की गई तथा उनकी विधिक समस्याओं को सुना गया व उनके निराकरण हेतु उचित सुझाव दिए गए।

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