होली की खुमारी में भंग का रंग चकाचक

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ऋषभ कौशिक

टीटीआई न्यूज़

गोवर्धन 27 मार्च 2021

ब्रज में होली के रंगों की खुमारी पूरे चालीस दिन तक देखने को मिलती है। ब्रज में कहावत है कि जगत होरी ब्रज होरा ये कैसा देश निघोरा जगत होरी ब्रज होरा। ब्रज में बसंत पंचमी से ही फाग महोत्सव मनाया जाता है। ब्रज में फाग महीना आते ही रंग उत्सवों की धूम होती है ब्रज के मंदिरों में अविर गुलाल उड़ने लगता है हर जगह रंगों की बौछार होने लगती है। 

ब्रज में चहु ओर रंग उत्सव की धूम देखते ही बनती है राधा कृष्ण की प्रेममई होली का एहसास आज भी ब्रज में श्रद्धालु महसूस करते है ब्रज में होली के मौके पर अनेको तरह के रंग देखने को मिलते है।

कान्हा की नगरी नंदगाँव और राधा की नगरी बरसाना की प्रेम प्रतीक विश्वप्रसिद्ध लठामार होली हो या फालेन में धधकती होलिका की आंच से निकलने वाला पंडा या फिर दाऊजी महाराज का छड़ी मार हुरंगा को देखने के लिए श्रद्धालु देश और दुनिया के कौने कौने से आते है। वहीं ब्रज में होली के अवसर पर दाऊजी महाराज और ब्रजवासियो को अत्यदिक प्यारी लगाने वाली भंग का भी एक अलग महत्व है। यँहा कहावत है कि होली में ब्रज में आये और भाँग नही छनि तो क्या ब्रज आये। 

यँहा जतीपुरा स्थित दाऊजी के मंदिर में दाऊजी महाराज के लिए होली से पहले सिल लोड़ी से ढप की थाप पर रसिया गायन के साथ दाऊजी के भोग के लिए खास भाँग का भोग तैयार किया गया जिसके बाद यँहा सभी ब्रजवासियो द्वारा भाँग  के रंग में प्रभु के संग होली के रसिया कागायां कर जमकर आनंद लिया गया और प्रभु के साथ होली खेली।

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