आज‬ का पंचांग, प्रस्तुति - रवींद्र कुमार, प्रसिद्ध वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ ज्योतिषी (राया वाले)

Subscribe






Share




  • Jeevan Mantra

प्रस्तुति - रवींद्र कुमार 

प्रसिद्ध वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ ज्योतिषी (राया वाले)

|।ॐ।|

आज‬ का पंचांग

तिथि.........षष्टि

वार...........मंगलवार

पक्ष... .......शुक्ल        

नक्षत्र.........उत्तराभाद्रपद

योग...........शिव

राहु काल.....१५:११--१६:३०

मास.......पौष

ऋतु........हेमंत

कलि युगाब्द....५१२२

विक्रम संवत्....२०७७

19  जनवरी  सं  2021

आज का दिन सभी के लिए मंगलमय हो

????????????????????????????????

हरदिनपावन 

"19 जनवरी/प्रेरक प्रसंग"

क्रांतिवीर निर्मलकांत राय

देश की स्वाधीनता के लिए गांधी जी के नेतृत्व में जहां हजारों लोग अहिंसक मार्ग से सत्याग्रह कर रहे थे, वहीं दूसरी ओर क्रांतिवीर हिंसक मार्ग से अंग्रेजों को हटाने के लिए प्रयासरत थे। वे अंग्रेज अधिकारियों के साथ ही उन भारतीय अधिकारियों को भी दंड देते थे, जो अंग्रेजों की चापलूसी कर भारतीयों को प्रताड़ित करने में गौरव का अनुभव करते थे। कोलकाता में तैनात ऐसे ही एक हेड कांस्टेबल हरिपद डे के वध के बाद क्रांतिकारियों ने अब इंस्पेक्टर नृपेन्द्रनाथ घोष को अपने निशाने पर ले लिया। 

नृपेन्द्रनाथ को यह पता लग गया था कि क्रांतिकारी अब उसके पीछे पड़ गये हैं। अतः वह इतना अधिक भयभीत हो गया कि सोते हुए भी कई बार चौंक कर उठ बैठता और चिल्लाने लगता, ‘‘वे मेरा पीछा कर रहे हैं। देखो, वह पिस्तौल तान रहा है, मुझे बचाओ..।’’ अपने कार्यालय में भी वह प्रायः चारों ओर ऐसे देखने लगता मानो किसी को ढूंढ रहा हो। वह दिन-रात अपने साथ एक अंगरक्षक रखने लगा। उसने उत्सवों में भी जाना बंद कर दिया।

क्रांतिकारियों ने इस बारे में एक गुप्त बैठक की। इसमें प्रतुल गांगुली, रवि सेन, निर्मल राय तथा निर्मलकांत राय शामिल हुए। बैठक में यह विचार हुआ कि चूंकि आजकल नृपेन्द्रनाथ बहुत सावधान रहता है, इसलिए कुछ दिन शान्त रहना उचित होगा। कुछ समय बीतने पर जब वह असावधान हो जाएगा, तब उसका शिकार करना ठीक रहेगा। यह भी निर्णय हुआ कि हम सामूहिक रूप से उसका पीछा न करें और जिसे मौका मिले, वह तभी उसका वध कर दे।

निर्णय होने के बाद बैठक समाप्त हो गयी। जैसे-जैसे समय व्यतीत होता गया, नृपेन्द्रनाथ असावधान होने लगा। उसके मन से क्रांतिकारियों का भय भी निकल गया। अब वह पुलिस विभाग की गाड़ी के बदले ट्राम से ही अपने कार्यालय आने-जाने लगा। क्रांतिकारी इसी अवसर की तलाश में थे।

19 जनवरी, 1944 को हर दिन की तरह इंस्पेक्टर नृपेन्द्रनाथ ने अपना काम निबटाया और एलीसियम रोड वाले कार्यालय से निकलकर अपने घर जाने के लिए उसने ट्राम पकड़ ली। ट्राम रात के पौने आठ बजे ग्रे स्ट्रीट और शोभा बाजार के चौराहे पर रुकी। नृपेन्द्रनाथ आराम से उतरकर अपने घर की ओर चल दिया। उस स्थान से कुमारतूली पुलिस स्टेशन निकट ही था।

क्रांतिवीर निर्मलकांत राय उस दिन उसका पीछा कर रहा था। वह अचानक नृपेन्द्रनाथ के सामने कूदा और रिवाल्वर की एक गोली उसके सिर में दाग दी। गोली इतने पास से मारी गयी थी कि वह सिर को फोड़ती हुई बाहर निकल गयी। नृपेन्द्रनाथ चीखकर धरती पर गिर पड़ा; पर निर्मलराय ने तभी एक दूसरी गोली उसके हृदय पर मारी। नृपेन्द्रनाथ की वहीं मृत्यु हो गयी।

शाम के समय बाजार में भीड़ रहती ही है। गोली चलने से और लोग भी आ गये और वहां शोर मच गया। निर्मलकांत ने इसका लाभ उठाकर रिवाल्वर जेब में डाली और शोर मचाने लगा, ‘‘कोई हमारे साहब को बचाओ, हत्यारे का पकड़ो, देखो भागने न पाये..।’’ फिर वह इस शोर और भीड़ में से स्वयं चुपचाप निकल गया। लोग समझे कि वह इंस्पेक्टर साहब का चपरासी है।

पुलिस विभाग में हड़कम्प मच गया। उन्होंने हत्यारे की बहुत तलाश की; पर वह हाथ नहीं आया। आगे चलकर पुलिस ने संदेह में एक निर्दोष युवक को पकड़ा, उसे मारा-पीटा; पर उसे कुछ पता ही नहीं था। उस पर उच्च न्यायालय में मुकदमा भी चलाया गया; पर न्यायालय ने उसे छोड़ दिया।

इस प्रकार क्रांतिकारियों ने अंग्रेजों के एक पिट्ठू को यमलोक पहुंचाकर कोलकाता में अपनी धाक जमा ली। 

(संदर्भ : क्रांतिकारी कोश)

........................................

TTI News

Your Own Network

CONTACT : +91 9412277500


अब ख़बरें पाएं
व्हाट्सएप पर

ऐप के लिए
क्लिक करें

ख़बरें पाएं
यूट्यूब पर