नैन भर देख अब भानुतनया

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  • Jeevan Mantra

- "नैन भर देख अब भानुतनया।

केलि पिय सों करे, भँवर तब ही परे, 

श्रमजल भरत आनंद मनया।।

चलत टेढ़ी होई, लेत पिय को मोही, 

इन बिना रहत नहीं एक छिनया।।"

- "श्याम संग श्याम व्है रही श्रीयमुने।

सुरत श्रमबिंदु तें सिंधु सी बह चली 

मानों आतुर अली रही न भवने।।

हरखि 'गोविंद' प्रभु निरखि इनकी ओर 

मानों नव दुलहनि आई गवने।।"

"कमल-विकासिनि, पुष्प-सुवाहिनि नन्दसुतार्थिनि गोपय माम्।"

"हलधर-कर्षित-वक्रितकूलिनि रास-सुधामयि रक्षय माम्।"

"कलिन्दगिरि-मस्तके पतदमन्द-पूरोज्ज्वला 

विलासगमनोल्लसत् प्रकटगण्ड-शैलोन्नता।"

श्रीमदाचार्यचरण से लेकर... श्रीमत्प्रभुचरण, श्रीहरिरायचरण... 

एवम् तृ.गृ.गो.श्रीव्रजेशकुमारजी पर्यन्त के महानुभावों ने ...

अनेक ललित-मधुर-भावपूर्ण स्तोत्रों द्वारा, ... तथाच ...

अष्टछाप भक्तकवियों ने रसपूर्ण-मधुर कीर्तनों द्वारा... 

जिनके रूप-नाम-लीला-गुण का निरूपण किया है ... ऐसीं ...पुष्टिजीवों की भाग्यविधात्री ...चतुर्थप्रिया श्रीयमुनाजी के पावन चरणकमलों में भूरिशः प्रणाम करते हुए .

श्रीगुसांईजी के शब्दों में, उन्हीं की आड़ी से, 

यही विनती समर्पित करें :--

"नमो देवि यमुने, नमो देवि यमुने हर कृष्ण-मिलनान्तरायम्।

निज-नाथ-मार्गदायिनि, कुमारि-कामपूरिके कुरु भक्तिरायम्।।"

प्रस्तुति : श्रीधर चतुर्वेदी

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