प्रासंगिक गीत- हर किसी को नहीं मिलता यहां प्यार ज़िंदगी में, ख़ुशनसीब हैं वो, जिनको है मिली, ये बहार ज़िंदगी में!
शेर- वैसे जीने को तो तेरे बिन भी, ज़माने में लोग जीते हैं, ज़िंदगी तो उसी को कहते हैं, जो बसर तेरे साथ होती है!
आज का मदमस्त गुनगुनाता पैरोडी भजन- कोई पिछले जनम, किए अच्छे करम, बंसी वारे को बंसी वारा मिला!
बंसी वारे ने सिपाही बनाया हो या कप्तान, फ़र्ज़ से न डिगना कभी, अगली बार इससे ऊपर उठना या गिरना, रहे ध्यान!
सुबह जब भी उठो, सोचो कि आज का दिन मेरी ज़िंदगी का आख़िरी दिन, लाख चाहोगे, तब भी बुरा नहीं कर पाओगे!
यह अच्छी तरह से जान और मान लें- "विधाता ने अच्छा करने के लिए भेजा है, बुरा करने के लिए नहीं!"
अच्छा करो इसलिए भेजा भी दिया है, उस भेजे का करके बुरा इस्तेमाल, लौटोगे तो क्या प्रभु तुम्हारी आरती उतारेंगे?
कप्तान किसी को चोर पकड़ने के लिए भेजे और वह रिश्वत लेकर चोर को छोड़ आए, तो क्या कप्तान शाबाशी देता है?
आज का पैरोडी बब्बर शेर- मौज उड़ाने का नहीं, ये ज़िंदगी मेहनतों का नाम है, वक्त है बहुत ही कम, और बड़ा काम है!
आज का सवाल- श्री कृष्ण नगरी में कौन बुलाता ऐसे चोर, जो श्रद्धालुओं की आंखों से काजल तक चुरा लेते हैं?
मथुरा की रहने वाली महिला कांस्टेबल से झांसी में तैनात दरोगा और उसके साथी ने किया गैंगरेप, दरोगा सस्पेंड
आज का विचार- धरा का सब, धरा पर, धरा रह जाता है, मृत्यु लोक में मरने के बाद, तेरा केवल करा रह जाता है।
नाले/नालियां साफ होतीं, पानी सड़कों पर नहीं जमा रहता, सोचिए/समझिए होती अगर सफाई, पानी नहीं बहा रहता?
बंसी वारे ने ग्राउंड जीरो पर उतरकर जानी सच्चाई, कोई नेता/अफ़सर पास नहीं था, जनता जब संकट में नज़र आई
श्री कृष्ण नगरी का ग़रीब ऑटो चालक भी जानता- लूट के ठेके कौन उठाता, बोला- यही उठाते हैं और कौन उठाता है?
श्री कृष्ण नगरी का ग़रीब रिक्शा वाला भी यह जानता है कि मथुरा के नेता नोट छापने में लगे हैं, इन्हें चाहिए बस कैश
काम किसी का हो या न हो, अफ़सर तवज्जो दे या न दे, चुनाव में सपोर्ट करने वाला भी नेता के पीए से लुट जाता है
ऐसे नेताओं को ओढ़े या बिछाए जनता, जिनके पीए किसी को सिर्फ फोन कराने के 20-20 हज़ार रुपए ले लेते हैं?
सावधान, इसका कोई उपाय अवश्य करें- चैनल आपका, सिस्टम आपका, मोबाइल आपका, चलाता कोई और है!
पहले कब मुमकिन था, कौन है तो यह मुमकिन है,
सुरक्षा की आड़ में जा रहे खेले खोटे खेल!
सच्चे पत्रकार दाई होते हैं, किसी के पाप नहीं छुपे रहते, एक-एक खेल की जानकारी, बंसीवारा सब दिखा देता।
याद रहे तानाशाह सरकारों, भारत के सभी लोग तो अंग्रेजों और मुगलों के भी गुलाम नहीं हुए, तुम्हारे क्या होंगे?
प्रासंगिक देश भक्ति गीत- अपनी आज़ादी को हम हरगिज़ मिटा सकते नहीं, सर कटा सकते हैं लेकिन सर झुका सकते नहीं
राजकीय अधिकारियों/कर्मचारियों को नहीं भूलना चाहिए, पोस्टिंग भले कोई करे, सैलरी जनता की कमाई से मिलती है
राजकीय संसाधनों, कर्मचारियों और अधिकारियों का राजनीतिक इस्तेमाल, यह सबसे बड़ा मुद्दा, विपक्ष दे ध्यान!
जनता का ज्वलंत सवाल- क्या जनप्रतिनिधि सिर्फ नोट और वोट बटोरने के लिए बने हैं, जल भराव कौन दूर कराएगा?
क्या कोई ऐसी समस्या है जिसके लिए प्रयास सच्चे मन से किया जाए और उसका निदान न हो, जनता की गालियां
आज का शेर- सच्चाई छुप नहीं सकती, बनावट के उसूलों से, कि ख़ुशबू आ नहीं सकती, कभी कागज़ के फूलों से!
देश की आज़ादी में नेताओं का ही नहीं, सच्चे पत्रकारों का भी रहा अहम योगदान, लोकतंत्र के चार स्तंभों में से एक
विधायिका अपने को सर्वशक्तिमान न समझे, माना 3 अन्य स्तंभों को उसने दबा लिया है मगर वे हमेशा दबे नहीं रहेंगे
मॉनिटरिंग सेल बनाकर सरकार रुकवा रही सच्ची ख़बरें, जिससे सभी तक शासन-प्रशासन की नाकामियां न पहुंचें
सच्चा पत्रकार जगत सरकार की कुत्सित मंशा का कड़ा विरोध करता है, जनता देगी कड़ा जवाब, उम्मीद रखता है!
श्री कृष्ण नगरी मथुरा में ज़रा सी बारिश के बाद फिर बनी भयंकर जल भराव की स्थिति, मेयर को पड़ रही गालियां!
ईमानदारी से जीता होता तो कुछ करता/कराता, अफ़सरों को तबादलों की धमकी दिलाकर जीता, क्या करेगा?
प्रधानमंत्री के 9 मिनट में संसद सत्र छोड़कर जाने को लेकर उठ रहे सवाल, विदेशों के लिए समय, देश के लिए नहीं?
जब देखा कि अब बरसात होने वाली है, झट से झोला उठाया और चल दिए, फिर मानसून सत्र क्यों बुलाया?
सारी विदेश यात्राएं वह खुद करते हैं, अक्सर विदेश दौरों पर रहते हैं, समझ नहीं आता कि विदेश मंत्री किसलिए रखे हैं?
जो बंसी वारे को डुबवाने चले थे, जिन्होंने तुड़वाया चेन, जबसे चला पता, ज़िंदा बचकर नहीं जाने वाले, भारी बेचैन!
नोट कर ले- जब काया ही साथ नहीं देगी तो माया कहां ले जाएगा? खाली हाथ आया था तू, खाली हाथ जाएगा!
आज का पैरोडी भजन- तूने जो लूटा और लुटवाया है, दूसरा खाएगा, खाली हाथ आया था तू, खाली हाथ ही जाएगा
विनाश और विकास में सिर्फ एक अक्षर का अंतर है, चतुर विनाशकारी करके विनाश, विकास का प्रचार करा देते हैं
कर्मन की गति न्यारी, मूरख राजा राज करैं, विद्वान बने फिरैं भिखारी, अच्छे कर्म से मूर्ख राजा, बुरे से विद्वान भिखारी बन जाते हैं
साम-दाम-दंड-भेद और भ्रष्टाचारी साथ लेकर कोई चुनाव जीता तो क्या ख़ाक जीता? ऐसी जीत से तो हार अच्छी!
आज का बब्बर शेर- तेरी ही हुक़ूमत में तुझसे जंग का ऐलान है, मेरी मौत चाहने वाले, तू चंद पलों का मेहमान है!
शनि के प्रतिनिधि श्रमिक, जो करते श्रम, शनि रखते नज़र, कोरोना काल में कोसों पैदल चलवाए गए श्रमिक परिवार?
पैदल चलने में भी थी श्रमिकों की भलाई, उनके परिश्रम में जो कोर कसर बाकी रह जाती, श्री कृष्ण ने थी पूरी कराई!
मैं फिर कहता डंके की चोट पर, लिखकर रख लेना, शनि देव 6 माह में दूध का दूध, पानी का पानी करके रख देंगे
जिन्होंने किए/कराए होंगे खोटे कर्म, उनको मिलकर रहेगा तिगुना दंड, अच्छे कर्म करने वालों को तिगुना पुरस्कार
6 महीने के अंदर जिसका हो जाए सत्यानाश, समझना वही था कुकर्मों का विकास, जो फले-फूले, समझना सत्यवान
शनि देव के वक्री होने का दिखने लगा असर, बड़े नेताओं पर संकट के बादल, विदेश निकल रहे पीएम मोदी
कोई ग़रीब अगर ₹2 का बिस्कुट का एक पैकेट भी लेता है तो पता है उस ग़रीब का करीब ₹1 टैक्स में चला जाता है!
सोचिए और समझिए कि यह सरकार ग़रीबों को नि:शुल्क खाद्यान्न दे रही है या उनका दाना-पानी छीन रही है?
जनता के पास आती हराम की कमाई, शायद यही सोच रही भारत की नरेंद्र मोदी सरकार, देश में करों की भरमार!
₹1 का आता था बीड़ी का बंडल, आज 22 रुपए क़ीमत, ₹1 का आता था गोल्ड मोहर गुटखा, आज ₹5 क़ीमत!
मथुरा-वृंदावन के मंदिरों में ही नहीं पूरे भारत में मची लूट, 5000 में आने वाली विक्की जैसा ओला सवा लाख का!
विदेश में टेस्ला कार 32 लाख की, मोदी सरकार ने लगाया इतना टैक्स कि भारत में हो गई 64 लाख रुपए कीमत!
छोड़ो कल की बातें, कल की बात पुरानी, नए दौर में लिखेंगे हम, फिर से नई कहानी, हम हिंदुस्तानी, हम हिंदुस्तानी!
नया ख़ून है, नई उमंग है, फिर से नहीं जवानी, आओ मेहनत को अपना ईमान बनाएं, सबसे अच्छा-प्यारा हिंदुस्तान बनाएं
मथुरा कोतवाली पुलिस से 3 साल में बरामद नहीं हो सकी एक चेन, ठेकेदार के लुटेरे आज भी रहे छाती पर मूंग दल!
आजकल न्याय के देवता शनि देव की चल रही अंतरराष्ट्रीय अदालत, अच्छे को तिगुना अच्छा, बुरे को तिगुना बुरा फल!
भारत सिद्धों और सीध्दियों का देश, स्वार्थियों ने समझा सिद्धियों को खेल, जो खेले, सिद्धियां रहीं अब उनसे खेल!
किसी मंदिर में अगर कोई महिला दे बैड टच, छाती से मारे टक्कर, बचाना चेन-कुंडल, पर्स-मोबाइल, स्नैचर्स होंगे घेरे!
श्रद्धालुओं के चेन-कुंडल-पर्स-मोबाइल खिंचवाने के लिए बाहर से बुलाए जाते स्पेशलिस्ट महिला-पुरुष, बच्चे-बुजुर्ग
आज जबकि मंदिर में खड़ा बाप बेटे से, कुमार्गी अपने कंधे पर लिए बच्चे से तुड़वा रहा चेन, इसे ही सुशासन कहते हैं?
You Are Watching An Exclusive, Informative, Devotional & Entertainment Network TTI News Your Own Network