उत्तर प्रदेश की योगी सरकार का बड़ा फैसला

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ब्लैक फंगस पर UP सरकार ने जारी की एडवाइजरी

यूपी में ब्लैक फंगस के बढ़ते मामलों के देखते हुए सरकार ने एडवाइजरी जारी की है. 

दरअसल पिछले कई दिनों से पश्चिम से लेकर पूर्वी उत्तर प्रदेश में रोज दर्जनों मरीज सामने आ रहे हैं. कई लोगों ने इससे अब तक जान भी गंवाई है. 

कोविड-19 संक्रमण के बाद ब्लैक फंगस या म्यूकरमाइकोसिस चेहरे नाक, साइनस, आंख और दिमाग में फैलकर उसको नष्ट कर देती है. इससे आंख सहित चेहरे का बड़ा भाग नष्ट हो जाता है और जान जाने का भी खतरा रहता है

ब्लैक फंगस की संभावना कहां ज्यादा

कोविड के दौरान स्टेरॉयड दवा दी गयी हो- डेक्सामिथाजोन, मिथाइल प्रेडनिसोलोन

कोविड मरीज को ऑक्सीजन पर रखना पड़ा हो या आईसीयू में रखना पड़ा हो.

डायबिटीज का अच्छा नियंत्रण ना हो

कैंसर, किडनी ट्रांसप्लांट के लिए दवा चल रही हो

ब्लैक फंगस के लक्षण

बुखार आ रहा हो, सिरदर्द हो रहा हो, खांसी हो, सांस फूल रही हो.

नाक बंद हो, नाक में म्यूकस के साथ खून आ रहा हो

आंख में दर्द हो। आंख फूल जाए. दो दिख रहा हो या दिखना बंद हो जाए।

चेहरे में एक तरफ दर्द हो, सूजन हो या सुन्न हो (छूने पर छूने का अहसास ना हो)

दांत में दर्द हो, दांत हिलने लगें, चबाने में दर्द हो।

उल्टी में या खांसने पर बलगम में खून आए

कोई भी लक्षण आपको लगे तो तुरंत सरकारी अस्पताल में या किसी अन्य विशेषज्ञ डॉक्टर को दिखाएं। नाक कान गले, आंख, मेडिसिन, चेस्ट या प्लास्टिक सर्जरी विशेषज्ञ से तुरंत दिखाएं और लग कर इलाज शुरू करें।

क्या सावधानियां बरतें

स्वयं या किसी गैर विशेषज्ञ डॉक्टर के, दोस्त मित्र या रिश्तेदार के कहने पर स्टेरॉयड दवा कतई शुरू ना करें स्टेरॉयड दवाएं जैसे – डेक्सोना, मेड्रोल इत्यादि

लक्षण के पहले 5 से 7 दिनों में स्टेरॉयड देने से दुष्परिणाम होते हैं। बीमारी शुरू होते ही स्टेरॉयड शुरू ना करें। इससे बीमारी बढ़ जाती है।

स्टेरॉयड का प्रयोग विशेषज्ञ डॉक्टर कुछ ही मरीजों को केवल 5-10 दिनों के लिए देते हैं, वो भी बीमारी शुरू होने के 5-7 दिनों बाद केवल गंभीर मरीजों को इसके पहले बहुत सी जांच आवश्यक है।

इलाज शुरू होने पर डॉक्टर से पूछें कि इन दवाओं में स्टेरॉयड तो नहीं है। अगर है, तो ये दवाएं मुझे क्यों दी जा रही है?

स्टेरॉयड शुरू होने पर विशेषज्ञ डॉक्टर के नियमित संपर्क में रहें।

कोविड-19 प्रबंधन हेतु गठित टीम-09 को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के दिशा-निर्देश

कोविड-19 की रोकथाम के लिए ट्रेस, टेस्ट और ट्रीट की नीति के साथ प्रदेशवासियों के जीवन और जीविका की सुरक्षा हेतु किये जा रहे प्रयासों के संतोषप्रद परिणाम मिल रहे हैं। एग्रेसिव टेस्टिंग की नीति के बाद भी नए केस लगातार कम हो रहे हैं, जबकि स्वस्थ होने वालों की संख्या हर दिन बढ़ती जा रही है।बीते माह 17 अप्रैल को प्रदेश में लगभग 1.70 लाख एक्टिव केस थे, जो 13 दिनों के भीतर बढ़कर 30 अप्रैल को सर्वाधिक 03 लाख 10 हजार तक पहुंच गए थे। सतत प्रयासों का परिणाम है कि आज 15 दिनों के बाद एक बार फिर एक्टिव केस की संख्या घटकर 1.77 लाख रह गई है। अब तक 14,14,259 प्रदेशवासी कोविड की लड़ाई जीत कर आरोग्यता प्राप्त कर चुके हैं। प्रदेश की रिकवरी दर अब 88% तक हो गई है। 

एग्रेसिव टेस्टिंग की नीति के अनुरूप विगत 24 घंटों में प्रदेश में 02 लाख 56 हजार 755 टेस्ट किए गए, जिसमें 1,12,000 टेस्ट आरटीपीसीआर के माध्यम से हुए। इसी अवधि में 12,547 नए कोविड केस की पुष्टि हुई , जबकि इसी अवधि में 28,404 लोग स्वस्थ होकर डिस्चार्ज हुए। 4 करोड़ 44 लाख 27 हजार 447 टेस्ट के साथ देश में सर्वाधिक टेस्ट करने वाला राज्य उत्तर प्रदेश ही है। प्रयोगशालाओं की टेस्टिंग क्षमता को बढ़ाये जाने की कार्यवाही तेज की जाए।

वर्तमान में 1.48 लाख लोग होम आइसोलेशन में उपचाराधीन हैं। इनके शीघ्र स्वास्थ्य लाभ के लिए टेलीकन्सल्टेशन के माध्यम से चिकित्सकीय परामर्श की व्यवस्था को और बेहतर किया जाए। चिकित्सकों की संख्या, फोन लाइन की संख्या में बढ़ोतरी की जरूरत है। निगरानी समितियों के माध्यम से होम आइसोलेशन के मरीजों और जरूरत के अनुसार उनके परिजनों को मेडिकल किट उपलब्ध कराई जाए। मेडिकल किट वितरण व्यवस्था की सतत मॉनीटरिंग की जाए। जनपदीय आइसीसीसी और सीएम हेल्पलाइन के माध्यम से मरीजों से संवाद कर उन्हें मिल रही सुविधाओं की जांच कराई जाए।

कोविड टीकाकरण की प्रक्रिया प्रदेश में सुचारु रूप से चल रही है। 45 वर्ष से अधिक और 18-44 आयु वर्ग के लोगों को कोविड सुरक्षा कवर प्रदान करने में उत्तर प्रदेश प्रथम स्थान पर है। अब तक 1,16,12,525 लोगों ने  पहली डोज और 31,82,072 लोगों ने वैक्सीन की दोनों डोज प्राप्त कर ली है। इस तरह 01 करोड़ 47 लाख 94 हजार 597 कोविड वैक्सीन एडमिनिस्टर हुए हैं। प्रदेश के 18 जनपदों में 18-44 आयु वर्ग के 49,854 लोगों के कल हुए टीकाकरण के साथ अब तक इस आयु वर्ग के 3,65,835 लोगों ने टीका-कवर प्राप्त कर लिया है।

वर्तमान में 18 जनपदों में 18-44 आयु वर्ग का टीकाकरण हो रहा है, अब अगले चरण में आगामी सोमवार से प्रदेश के सभी मंडल मुख्यालय वाले सभी जिलों में भी इस आयु वर्ग का टीकाकरण प्राम्‍भ किया जाए। इससे बस्ती, विंध्याचल धाम, आजमगढ़, देवीपाटन और चित्रकूटधाम मंडल मुख्यालय के जिले लाभान्वित होंगे। वैक्सीनेशन के प्रथम दिवस लोगों के उत्साहवर्धन हेतु स्थानीय जनप्रतिनिधियों को भी आमंत्रित किया जाए। वैक्सीन सेंटर तय करते समय यह ध्यान रखें कि स्थल पर प्रतीक्षालय हेतु खुला स्थान हो, कोविड प्रोटोकॉल का अनुपालन हो सके।

सभी नागरिकों का वैक्सीनेशन निःशुल्क है। कोविड प्रोटोकॉल का अनुपालन सुनिश्चित हो, इसके लिए ऑनलाइन पंजीयन की व्यवस्था लागू की गई है।निरक्षर, दिव्यांग, निराश्रित, श्रमिक अथवा अन्य जरूरतमंद लोगों का टीकाकरण सुनिश्चित कराने के लिए कॉमन सर्विस सेंटर पर टीकाकरण पंजीयन की सुविधा प्रदान करना सुविधाजनक होगा। इस संबंध में तत्काल आवश्यक व्यवस्था की जाए। 45+ आयु के लोगों को द्वितीय डोज के लिए ऑन स्पॉट पंजीयन की सुविधा जारी रखी जाए।

विशेषज्ञों के आकलन को दृष्टिगत रखते हुए सभी जिलों में बच्चों के स्वास्थ्य सुरक्षा के विशेष इंतजाम करने की आवश्यकता है। इस उद्देश्य से सभी जिला अस्पतालों में न्यूनतम 10-15 बेड और मेडिकल कॉलेज में 25-30 बेड की क्षमता वाले पीडियाट्रिक आईसीयू को तैयार कराया जाए। मंडल मुख्यालय पर न्यूनतम 100 बेड का पीडियाट्रिक आईसीयू होना चाहिए। गोरखपुर व बस्ती मण्डल में इंसेफेलाइटिस के दृष्टिगत स्थापित 'पीकू' की तर्ज पर अन्य जिलों में व्यवस्था की जानी चाहिए। आवश्यक चिकित्सकीय उपकरण, मेडिसिन आदि की उपलब्धता करा ली जाए। इस संबंध में चिकित्सकों व अन्य स्टाफ का प्रशिक्षण कराया जाए। यह कार्य तेजी के साथ कराया जाए।

ऑक्सीजन की मांग, आपूर्ति और खर्च में संतुलन बनाने के लिए कराए जा रहे ऑक्सीजन ऑडिट के अच्छे परिणाम मिले हैं। उत्तर प्रदेश में अपनाई गई ऑनलाइन ऑक्सीजन ट्रैकिंग प्रणाली को 'नीति आयोग' द्वारा सराहा गया है। यह हमारे लिए उत्साहवर्धक है। सतत नियोजित प्रयासों का ही परिणाम है कि आज सभी मेडिकल कॉलेजों में 24 घंटे से अधिक का ऑक्सीजन बैकअप हो गया है। यही नहीं, कल, ऑक्सीजन रिफिलर्स ने कुल 754 एमटी की मांग की थी, जिसके सापेक्ष उन्हें 820 एमटी ऑक्सीजन उपलब्ध कराई गई।होम आइसोलेशन के किसी भी मरीज को ऑक्सीजन का अभाव न हो। कल 43 मीट्रिक टन ऑक्सीजन होम आइडोलेशन के मरीजों को दी गई। बीते 24 घंटों में 1010 मीट्रिक टन ऑक्सीजन का वितरण किया गया है। ऑक्सीजन की आपूर्ति को बेहतर करने के लिए सभी जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं।

गांवों और शहरी वार्डों में गठित निगरानी समितियों की प्रदर्शन सराहनीय है। घर-घर स्क्रीनिंग से लेकर मरीजों को मेडिकल किट उपलब्ध कराने, उनकी टेस्टिंग सुनिश्चित कराने सहित सभी जरूरी कार्य यह कुशलता पूर्वक कर रही हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने गांव-गांव टेस्टिंग की हमारी नीति को सराहा है। 

नदियों को अविरल और निर्मल रखना सभी का दायित्व है। यह हमारे लिए जीवनदायिनी हैं। कतिपय क्षेत्रों में मृतकों के शव नदी किनारे दफनाने अथवा जल प्रवाह की परंपरा है। यह पर्यावरण अनुकूल नहीं है। इस संबंध में धर्मगुरुओं से संवाद किया जाए, लोगों को जागरूक करने की आवश्यक्ता है। एसडीआरएफ तथा पीएसी की जल पुलिस प्रदेश की सभी नदियों में सतत पेट्रोलिंग करती रहे। सिविल पुलिस भी गश्त करे। लोगों को जागरूक किया जाना चाहिए। प्रत्येक दशा में यह सुनिश्चित किया जाए कि किसी भी दशा में शव का जल प्रवाह न हो। नदी किनारे शव न दफनाए जाएं। नदी में शव अथवा मरे हुए जानवर बहाने से नदी प्रदूषित होती है। इस संबंध में गृह विभाग, नगर विकास विभाग व ग्राम विकास एवं पंचायत विभाग समन्वित होकर कार्य करें। 

प्रदेश में नदियों के किनारे स्थित सभी गांवों तथा शहरों में ग्राम विकास अधिकारी व ग्राम प्रधान तथा शहरों में अधिशाषी अधिकारी व नगर पालिका/नगर पंचायत/नगर निगम के अध्यक्षों के माध्यम से समितियां बनाकर यह सुनिश्चित किया जाए कोई भी व्यक्ति परम्परा के नाते नदियों में शव का जल प्रवाह न करे। कोविड के कारण होने वाली हर मृत्यु दुःखद है। मृतकों के परिजनों के प्रति प्रदेश सरकार की संवेदनाएं हैं। अंत्येष्टि की क्रिया मृतक की धार्मिक मान्यताओं के अनुरूप ससम्मान किया जाए। अंत्येष्टि क्रिया को सुचारू रूप से संपन्न कराने के लिए प्रदेश सरकार द्वारा आवश्यक वित्तीय सहायता भी दी जा रही है। यदि परम्परागत रूप से भी जलसमाधि हो रही है, अथवा कोई लावारिस छोड़ रहा है तो भी उसकी सम्मानजनक तरीक़े से धार्मिक मान्यताओं के अनुसार उसका अंतिम संस्कार कराया जाए। किसी भी दशा में किसी को भी धार्मिक परंपराओं के नाते नदी में शव न आने दिया जाए।

कोविड संक्रमण से मुक्त कुछ लोगों में ब्लैक फंगस नाम की नई बीमारी के प्रसार की जानकारी भी मिली है। राज्य स्तरीय स्वास्थ्य विशेषज्ञों की परामर्शदात्री समिति से संवाद बनाते हुए इसके उपचार हेतु आवश्यक गाइडलाइंस आज ही जारी कर दी जाएं। आवश्यक दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए। उत्तर प्रदेश को इस मामले में प्रो-एक्टिव रहना होगा।इसके बचाव, उपचार आदि की समुचित व्यवस्था पूरी तत्परता के साथ किया जाए। 

ब्लैक फंगस बीमारी के उपचार सम्बंध में प्रशिक्षण आवश्यक है। सभी मेडिकल कॉलेजों, सीएमओ, इलाज में संलग्न अन्य चिकित्सकों को एसजीपीजीआईपीजीआई से जोड़ते हुए इस सम्बन्ध में आवश्यक चिकित्सकीय प्रशिक्षण कराने की कार्यवाही तत्काल कराई जाए।

कतिपय जनपदों में कुछ निजी कोविड अस्पतालों द्वारा सरकार द्वारा तय दर से अधिक की वसूली करने की शिकायतें मिल रही हैं। लखनऊ में ऐसे ही कुछ अस्पतालों के खिलाफ कार्रवाई की गई है। सभी जिलाधिकारी यह सुनिश्चित करें कि मरीज और उसके परिजनों का किसी भी प्रकार उत्पीड़न न हो। ऐसे असंवेदनशील अस्पतालों से मरीजों को अन्यत्र शिफ्ट करके, अस्पताल के विरुद्ध नियमानुसार कार्रवाई की जाए।

बहुत से मरीज कोविड संक्रमण से मुक्त हो चुके हैं किंतु अभी भी उन्हें चिकित्सकीय निगरानी को जरूरत होती है। ऐसे मरीजों को उनकी मेडिकल कंडीशन के।आधार पर एल-1 हॉस्पिटल में ऑक्सीजन युक्त बेड पर भर्ती जरूर कराया जाए। उनके सेहत की पूरी देखभाल हो।

कोविड प्रबंधन में निगरानी समितियों की भूमिका अति महत्वपूर्ण है और इन समितियों ने  प्रशंसनीय कार्य किया है। इन्हें और प्रभावी बनाने के लिए बेहतर मॉनीटरिंग की जरूरत है। प्रत्येक जिले के लिए सचिव अथवा इससे ऊपर स्तर के एक-एक अधिकारी को नामित किया जाए। जबकि न्याय पंचायत स्तर पर जनपद स्तरीय अधिकारियों को सेक्टर प्रभारी के रूप में तैनात किया जाए। यह प्रभारी अपने क्षेत्र में मेडिकल किट वितरण, होम आइसोलेशन व्यवस्था, क्वारन्टीन व्यवस्था, कंटेनमेंट ज़ोन को प्रभावी बनाने तथा आरआरटी की संख्या बढाने के लिए सभी जरूरी प्रयास करेंगे। जो अधिकारी हाल ही में कोविड संक्रमण से मुक्त होकर स्वस्थ हुआ हो, उनकी तैनाती इस कार्य में न की जाए। 

कोरोना संक्रमण की चेन तोड़ने और गांवों को कोरोना से सुरक्षित रखने के उद्देश्य से वर्तमान में 97,000 से अधिक राजस्व गांवों में वृहद टेस्टिंग अभियान संचालित किया जा रहा है। इस अभियान के सकारात्मक परिणाम प्राप्त हो रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन तथा नीति आयोग ने भी हमारे इस अभियान की सराहना की है। व्यापक जनमहत्व के इस अभियान को कोरोना कर्फ्यू की पूरी अवधि में तत्परता के साथ संचालित किया जाए। हर लक्षणयुक्त/संदिग्ध व्यक्ति की एंटीजन जांच की जाए। आरआरटी टीम की संख्या बढ़ाई जाए।

कोविड मरीजों के लिए बेड बढ़ोतरी की दिशा में प्रयास और तेज किए जाने की आवश्यकता है। मार्च से अब तक 30000 से अधिक बेड बढ़ाये गए हैं। हर दिन इसमें बढ़ोतरी हो रही है। बीते 24 घंटे में विभिन्न जिलों में करीब 250 बेड और बढ़े हैं। भविष्य की जरूरत को देखते हुए बेड बढ़ोतरी के लिए सभी विकल्पों पर ध्यान देते हुए कार्यवाही की जाए। चिकित्सा शिक्षा मंत्री स्तर से इसकी दैनिक समीक्षा की जाए।

ऑक्सीजन प्लांट की स्थापना की कार्यवाही तेजी से की जाए। भारत सरकार द्वारा स्थापित कराए जा रहे प्लांट के संबंध में मुख्य सचिव सतत अनुश्रवण करते रहें। पीएम केयर्स के अतर्गत लग रहे ऑक्सीजन प्लांट लखनऊ, जौनपुर, फिरोजाबाद, सिद्धार्थ नगर आदि में जल्द ही क्रियाशील हो जाएंगे। सहारनपुर में प्लांट चालू हो चुका है। सीएसआर की मदद और राज्य सरकार द्वारा स्थापित कराए जा रहे प्लांट्स की कार्यवाही तेज की जाए।  कोविड के उपचार हेतु एयर सेपरेटर यूनिट, ऑक्सीजन प्लांट की स्थापना आदि के संबंध में सांसद/विधायक निधि से सहयोग लिया जा सकता है।

निगरानी समितियां जिन्हें मेडिकल किट दे रही हैं, उनका नाम और फोन नम्बर आइसीसीसी को उपलब्ध कराएं। आइसीसीसी इसका पुनरसत्यापन करे। इसके अतिरिक्त जिलाधिकारी के माध्यम से इसकी एक प्रति स्थानीय जनप्रतिनिधियों को उपलब्ध कराया जाए, ताकि सांसद/विधायकगण मेडिकल किट प्राप्त कर स्वास्थ्य लाभ कर रहे लोगों से संवाद कर सकें। इससे व्यवस्था का क्रॉस वेरिफिकेशन भी हो सकेगा। हर संदिग्ध लक्षणयुक्त व्यक्ति की एंटीजन टेस्ट जरूर हो।

सभी जिलों में वेंटिलेटर और ऑक्सीजन कंसंट्रेटर उपलब्ध कराए गए हैं। एसीएस स्वास्थ्य, प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा प्रत्येक दशा में इन उपकरणों को क्रियाशील होना सुनिश्चित कराएं। संबंधित जिलों से संपर्क कर इस संबंध में उनकी समस्याओं का निराकरण कराएं। इसके उपरांत भी यदि वेंटिलेटर/ऑक्सीजन कंसंट्रेटर क्रियाशील न होने की सूचना प्राप्त हुई तो संबंधित डीएम/सीएमओ की जवाबदेही तय की जाएगी।

आंशिक कोरोना कर्फ्यू को दृष्टिगत रखते हुए रेहड़ी, पटरी, ठेला व्यवसायी, निर्माण श्रमिक, पल्लेदार आदि के भरण-पोषण की समुचित व्यवस्था की जाए। सभी जिलों में कम्युनिटी किचेन संचालित किए जाएं। निजी स्वयंसेवी संस्थाओं से भी सहयोग प्राप्त करना उचित होगा।

'सफाई, दवाई, कड़ाई, के मंत्र के अनुरूप प्रदेशव्यापी स्वच्छता, सैनीताइजेशन का अभियान चल रहा है। लोगों को स्वच्छता के प्रति जागरूक करने की जरूरत है। कोरोना कर्फ्यू को प्रभावी ढंग से लागू किया जाए। स्वच्छता, सैनिटाइजेशन से जुड़े कार्यों का दैनिक विवरण स्थानीय जनप्रतिनिधियों को भी उपलब्ध कराया जाए। ताकि आवश्यकतानुसार वह भौतिक परीक्षण कर सकें।

श्वेतांक टीटीआई न्यूज़

लखनऊ से बड़ी ख़बर

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का बड़ा फैसला

24 मई तक लॉकडाउन को बढ़ाया गया

24 मई सुबह 7:00 बजे तक यूपी में रहेगा लॉकडाउन।

लखनऊ से प्रकाशित खबर के मुताबिक हालांकि प्रदेश में कोरोना के मामलों में कमी आ रही है। लेकिन फिर भी ग्रामीण क्षेत्रों को ध्यान में रखते हुए लॉकडाउन को बढ़ा दिया गया है।

 

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