उत्तर प्रदेश, मथुरा : खेतों में खड़ी फसल पर मंडरा रहा ख़तरा

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आदित्या आहूजा

टीटीआई न्यूज़

मथुरा 22 दिसंबर 2020

काेहरा अपना असर दिखा रहा है और शीतलहर ने लोगों को ठिठुरने पर मजबूर कर दिया है। ऐसे में खेतों में खड़ी फसल के लिए भी मुश्किल हो रही है। कृषि विज्ञानी गेहूं के लिए भले ही बेहतर मौसम बता रहे हों, लेकिन सरसों, आलू और सब्जियों के लिए संकट बना हुआ है।

कोहरा गहराने लगा है और तापमान अधिकतम तापमान से नीचे तेजी से लुढ़क रहा है। ऐसे में सब्जियों की बढ़वार प्रभावित होनी शुरू हो गई है। नई पौधों की बढ़वार थम गई है, जिससे उत्पादन पर सीधा असर पड़ेगा।

वहीं सरसों की बुवाई भी अक्टूबर से नवंबर के मध्य हुई थी। अगर कोहरा अधिक हुआ और धूप नहीं खिली तो चेंपा रोग लगने की आशंका बनी हुई है। उपकृषि निदेशक धुरेंद्र कुमार ने बताया कि चेंपा सरसों के लिए बहुत हानीकारक होता है, इसलिए किसान निगाह रखें और तत्काल उपचार करें। उन्होंने बताया कि आलू पर झुलसा रोग लगने की आशंका बनी हुई है।

फफूंदनाशक का छिड़काव कर इसका बचाव किया जा सकता है। दलहनी फसलों के लिए भी मौसम अनुकूल नहीं है। मसूर, चना, मटर, आदि फसलों की बढ़वार हल्की हो जाएगी। कोहरा बढ़ने और धूप नहीं खिलने से सब्जियों की ग्रोथ पर भी सीधा असर पड़ेगा। ऐस सब्जियां जिन पर फूल नहीं आया होगा, उनकी बढ़वार प्रभावित होगी। 

उप कृषि निदेशक ने बताया कि आलू की फसल में अगेती/ पिछेती झुलसा रोग के प्रकोप होने पर पत्तियों पर भूरे एवं काले रंग के धब्बे बनते हैं तथा तीव्र प्रकोप होने पर पौधा संपूर्ण रूप से झुलस जाता है, इसके नियंत्रण के लिए कॉपरऑक्सिक्लोराइड 50 प्रति डब्लूपी मात्रा ढाई किलोग्राम अथवा जिनेव 75 प्रति डब्लूपी मात्रा 2 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से 500 से 600 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति हेक्टेयर छिड़काव करें।

मटर की फसल में मिल्डयू रोग के नियंत्रण हेतु जिनेव 75 प्रति डब्लूपी 2 किलोग्राम अथवा कॉपरऑक्सिक्लोराइड 50 डब्लूपी की 3 किलोग्राम मात्रा को 500 से 600 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव कराएं।

राई/ सरसों की फसल में अल्टर नेरिया पत्ती धब्बा रोग के नियंत्रण हेतु जिनेव 75 प्रति डब्ल्यूपी 2 किलोग्राम मात्रा प्रति हेक्टेयर की दर से 600 से 700 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें। गेहूं की फसल में दीमक के नियंत्रण हेतु क्लोरोपायरीफोस 20 प्रति मात्रा 3 लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से सिंचाई जल के साथ प्रयोग करें अथवा ब्यूवेरियावेसियाना 2.5 किलोग्राम मात्रा को 40 किलोग्राम सड़ी गोबर की खाद के साथ मिलाने के 1 सप्ताह बाद खेत में बखेर कर गुड़ाई कर दें।

गेहूं की फसल में करनाल बंट रोग के नियंत्रण हेतु 75 प्रति डब्लू एस ढाई किलोग्राम अथवा कारबनडाजिम 50 प्रति डब्ल्यूपी का 2 ग्राम मात्रा प्रति किलोग्राम बीज दर से बीज शोधन के बाद बुवाई कराएं और गेहूं की फसल में अनावृत कंडुआ के नियंत्रण हेतु कार्बनडाजिम 50 प्रति डब्ल्यूपी की 2 ग्राम अथवा कारवोक्सन 37.5 प्रति + धीरम 37.5 डब्ल्यू एस की 3 ग्राम मात्रा प्रति किलो बीज की दर से बीज शोधन के उपरांत बुवाई कराएं।

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