मथुरा के महोली रोड की टीचर्स कॉलोनी की चोरी की बड़ी घटना के कोतवाली पुलिस के खुलासे से वादी संतुष्ट नहीं
एक करोड़ की चोरी में एक-दो घड़ियां ही रहीं मिलती दिख, और बरामदगी बताई जा रही अन्य घटनाओं की- पीड़ित
श्री कृष्ण नगरी मथुरा रही डीजीपी राजीव कृष्ण को पुकार, मुक्तिदाता की भूमि को माफिया राज़ से मुक्ति की दरकार!
कमिश्नर थे प्रदीप भटनागर, स्पष्ट रूप से बोले- प्रशासन को कराना चाहिए जवाहर बाग़ खाली, प्रशासन ने कर दिखाया
जिनके नाम के ही आगे लगा कृष्ण, वह डीजीपी मथुरा के कंसों से भली-भांति वाकिफ, कराएं सफ़ाया- बंसीवारा!
मथुरा जैसी भूमि जगत में और नहीं होनी, बहन/बहनोई और भांजे पर अत्याचार करने वाला कंस तक रहा राजा
सच्ची कहानी यहीं खत्म नहीं होती है, कंस ने लाख चाहा, उसका चाहा हो नहीं पाया, आखिरकार झूर-झूर होना पड़ा
जो वक्त की आंधी से खबरदार नहीं हैं, कुछ और ही होंगे, वो कलमकार नहीं हैं, हम चीख हैं, आवाज़ हैं, गूंगी प्रजा की!
आईना हैं समाज का, किसी लुटेरे ठेकेदार के दरबार नहीं हैं, खुद आती हर ख़बर, मत कहना कभी, हम खबरदार नहीं हैं
आज का प्रासंगिक गीत- अपना-अपना हिस्सा है, अपना-अपना किस्सा है, कोई लुट जाता है, कोई लूट जाता है!
गर नोट ही कमाने हैं तो किसी भ्रष्ट नेता के पीए बन जाओ, पत्रकारिता की आड़ में क्या मिल रहा होगा, ख़ज़ाने मिलेंगे!
चाटुकारिता करके चाटुकार न बनते तो नारद बन सकते थे, नारायण भी करते गर मज़ाक, तो उन पर भी तन सकते थे!
श्री कृष्ण नगरी की हवा ही ऐसी, जिसे जब भी मिलती है, मनोकामना पूर्ण होती है, चाहने मात्र से दौलत मिलती है।
कली बेच देंगे, सुमन बेच देंगे, धरा बेच देंगे, गगन बेच देंगे, क़लम के पुजारी जब बिक गए, बेचने वाले वतन बेच देंगे!
बड़े भाई को लुटवाकर अगर लूट का हिस्सा पाया तो क्या कमाया? पाप ही मिला होगा, पुण्य तो कोई देने से रहा!
प्रासंगिक शेर- कुछ तो मजबूरियां रही होंगी, यूं ही कोई बेवफ़ा नहीं होता! (मज़बूरी, मज़दूरी उठवा लेती है?)
एक मित्र ने कहा- "लो भाई साहब, अब आप उनको चेक से भी पेमेंट नहीं लेने दोगे, कितनी मेहनत करते हैं बेचारे?"
संस्थान वाले कुछ देते नहीं होंगे, लाने को और कहते होंगे, जो लाए आईडी खरीदकर, महीनेदारी देने नहीं जाते होंगे?
बंसी वारे ने कहा, लेने वालों ने तो इलेक्टोरल बॉन्ड्स भी लिए थे, बाद में डिटेल देने से बचते रहे थे मगर देनी पड़ी!
जब चेक भुनाया जाएगा, कहीं तो दर्ज होगा, किसका चेक, किसने भुनाया या बीमे का भुगतान आया? चेक हो जाएगा!
भजन- दरबार तेरा दरबारों में कुछ ख़ास अहमियत रखता है, उसको वैसा मिल जाता है, जो जैसी नियत रखता है!
जज ने जब यह कहा था देश की बर्बादी में गोदी मीडिया का भी योगदान, बड़ा बुरा लगा था, मगर अब सच्चा लग रहा है
बात सही निकली, तब निकला- इक दिन एक फ़कीर ने इक बात कही थी, अब जाके दिल ने माना कि वो बात सही थी!
आज का बब्बर शेर- बर्बाद यूं दर-ओ-दीवार, कभी अपने नहीं होते, दुश्मनों में मिले गर कुछ लोग अपने नहीं होते!
लुटेरे/भ्रष्ट और बेईमान ऐसे ही नहीं बन जाते हैं नवाब, करते बड़ी मेहनत, सब साधकर चलने पड़ते हैं साहब।
ब्रोकिंग/ब्लैकमेलिंग का ऐसा खेल कि जिसमें ब्लैकमेलर भी हो जाते ब्लैकमेल, फिर भी नहीं छोड़ते खेलना खेल!
आज का विचार- अर्थ प्रधान युग में लोग पैसे के लिए पागल हैं, नहीं जानते पाप के पैसे का परिणाम, गरज़ते बादल हैं!
अगर पैसा ही कमाना है तो, लूट मार के और रास्ते हैं बहुत, छोड़ दें पत्रकारिता को कलंकित करना, अब हो गया बहुत।
अपनी आज़ादी की मथुरा, सचमुच तीन लोक से न्यारी, चाटुकारों को चेक, कोई ऐसे ही नहीं बन जाता दरबारी!
फ़र्ज़ से न डिगना कभी, बंसीवारे ने बनाया हो सिपाही या कप्तान, अगली बार इससे ऊपर उठना या गिरना, रहे ध्यान!
सुबह जब भी उठो, सोचो कि आज का दिन मेरी ज़िंदगी का आख़िरी दिन, लाख चाहोगे, तब भी बुरा नहीं कर पाओगे!
आज का सवाल- श्री कृष्ण नगरी में कौन बुलाता ऐसे चोर, जो श्रद्धालुओं की आंखों से काजल तक चुरा कर देते हैं?
ऐसे नेताओं को ओढ़े या बिछाए जनता, जिनके पीए किसी को सिर्फ फोन कराने के 20-20 हज़ार रुपए ले लेते हैं?
सच्चे पत्रकार दाई होते हैं, किसी के पाप नहीं छुपे रहते, एक-एक खेल की जानकारी, बंसीवारा सब दिखा देता।
राजकीय अधिकारियों/कर्मचारियों को नहीं भूलना चाहिए, पोस्टिंग भले कोई करे, सैलरी जनता की कमाई से मिलती है
देश की आज़ादी में नेताओं का ही नहीं, सच्चे पत्रकारों का भी रहा अहम योगदान, लोकतंत्र के चार स्तंभों में से एक
विधायिका अपने को सर्वशक्तिमान न समझे, माना 3 अन्य स्तंभों को उसने दबा लिया है मगर वे हमेशा दबे नहीं रहेंगे
सारी विदेश यात्राएं वह खुद करते हैं, अक्सर विदेश दौरों पर रहते हैं, समझ नहीं आता, विदेश मंत्री किसलिए रखे हैं?
शनि के प्रतिनिधि श्रमिक, जो करते श्रम, शनि रखते नज़र, कोरोना काल में कोसों पैदल चलवाए गए श्रमिक परिवार?
मैं फिर कहता डंके की चोट पर, लिखकर रख लेना, शनि देव 6 माह में दूध का दूध, पानी का पानी करके रख देंगे
जिन्होंने किए/कराए होंगे खोटे कर्म, उनको मिलकर रहेगा तिगुना दंड, अच्छे कर्म करने वालों को तिगुना पुरस्कार
सोचिए और समझिए कि यह सरकार ग़रीबों को नि:शुल्क खाद्यान्न दे रही है या उनका दाना-पानी छीन रही है?
छोड़ो कल की बातें, कल की बात पुरानी, नए दौर में लिखेंगे हम, फिर से नई कहानी, हम हिंदुस्तानी, हम हिंदुस्तानी!
मथुरा कोतवाली पुलिस तीन साल में नहीं बरामद कर सकी एक चेन, ठेकेदार के लुटेरे, आज भी रहे छाती पर मूंग दल!
आजकल न्याय के देवता शनि देव की चल रही अंतरराष्ट्रीय अदालत, अच्छे को तिगुना अच्छा, बुरे को तिगुना बुरा फल!
किसी मंदिर में अगर कोई महिला दे बैड टच, छाती से मारे टक्कर, बचाना चेन-कुंडल, पर्स-मोबाइल, स्नैचर्स होंगे घेरे!
श्रद्धालुओं के चेन-कुंडल-पर्स-मोबाइल खिंचवाने के लिए बाहर से बुलाए जाते स्पेशलिस्ट महिला-पुरुष, बच्चे-बुजुर्ग
आज जबकि मंदिर में खड़ा बाप बेटे से, कुमार्गी अपने कंधे पर लिए बच्चे से तुड़वा रहा चेन, इसे ही सुशासन कहते हैं?
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