आज का दिन भी... अन्य कई दिनों की तरह...कांकरोली के इतिहास में अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान रखता है...!!!

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  • Jeevan Mantra

प्रस्तुति : श्रीधर चतुर्वेदी

आज... मार्गशीर्ष शु.4...।

 

आज का दिन भी... अन्य कई दिनों की तरह...कांकरोली के इतिहास में अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान रखता है...!!!

 

वि.सं.1965 में... आज ही के दिन... तृतीय गृह के एकादश तिलकायत गो.श्रीबालकृष्णलालजी महाराजश्री के मनोरथ स्वरूप... उन दिनों नाथद्वारा में विराजमान प्रथम गृह निधि श्रीमथुराधीश प्रभु... बड़ी धामधूम के साथ कांकरोली पधारे थे...!!!

श्रीबालकृष्णलालजी महाराजश्री ने सोने-चांदी के फूल बरसा कर श्रीप्रभु का स्वागत कर... उन्हें मंदिर में पधराया... और... दोनों स्वरूपों ने एक ही सिंहासन पर विराज कर मनोरथात्मक सेवा अंगीकार की...!!!

 

अन्य कई तत्सुखात्मक मनोरथों के साथ...मार्गशीर्ष शु.12 के दिन... मंदिर के गोवर्द्धन चौक में दोनों स्वरूप मण्डप में विराजे और दीपावली का मनोरथ अंगीकार किया... जिसके दर्शन हेतु महाराणा श्रीफतहसिंहजी भी उदयपुर से कांकरोली आये...!!!

 

इस प्रकार... श्रीमथुराधीश प्रभु और श्रीद्वारकाधीश प्रभु ने ... कांकरोली में... ग्यारह दिन तक... एक ही सिंहासन पर विराज कर सेवा अंगीकार की...!!!

 

प्रस्तुत चित्र में... मण्डप में विराजमान दोनों स्वरूप और... कोटा एवं कांकरोली उभय घर के बालक सेवा में उपस्थित दृश्यमान हो रहे हैं...!!!

 

भूरिशः दंडवत् प्रणाम... ऐसे भव्य-दिव्य मनोरथों के कर्ता श्रीबालकृष्णलालजी महाराजश्री... और...उसी परमप्रतापी परंपरा का निर्वहन कर रहे विराजमान श्रीबालकृष्णलालजी (श्रीव्रजेशकुमारजी) महाराजश्री के... पावन पादपद्मों में...!!!

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