कर्म किसी को नहीं छोड़ते, पापी हों या संत !

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  • Jeevan Mantra

सच्ची घटना पर आधारित

प्रस्तुति - हंस जैन रामनगर खंडवा

पाप से बचो ....

अपनी-अपनी करनी का फल सबको मिलता है_

सत्य घटना पर आधारित_

घर की बड़ी बहू जब पहली बार गर्भवती होती है तो उस परिवार में कितना ख़ुशी का माहौल होता है।

ऐसे ही हमारी एक बहन संगीता, जो उस घर में तीन भाईयों में सबसे बड़े भाई की पत्नी थी, जब पहली बार गर्भवती हुई तो पूरे घर में एक सुखद वातावरण बन गया था, दोनों देवर दिन में कई बार पूछते थे, भाभी आपको क्या लेकर आऊं? आपको क्या पसन्द है, यदि बेटा हुआ तो हम उसका नाम आर्यन रखेंगे और बेटी हुई तो आर्ना_ _रखेंगे, सासु माँ भी बहुत खुश थी। कई बर्षों बाद एक बार फिर से उस घर में बच्चे की किलकारियां गूंजने वाली थीं, पर किस्मत को कुछ ही मंजूर था........ अभी ढाई महीना ही हुआ था एक रात अचानक संगीता का गर्भ गिर ( मिस्करेज ) गया

घर का माहोल ऐसा हो गया, जैसे अब कुछ बचा ही ना हो। उस दिन घर में खाना भी नहीं बना। ये कैसा पाप कर्म था, जो हम कुछ नहीं कर पाये और....

_समय बीता कुछ महीने बाद संगीता फिर से गर्भवती हुई, घर में फिर से ख़ुशियां छाने लगीं, परन्तु.... ढाई महीने बाद फिर वही घटना हुई, और सबके सपने चकनाचूर हो गए, _

अब घर पर वैसा माहौल नहीं रहा था जो कुछ महीनों पहले हुआ करता था_

कुछ समय बाद संगीता फिर गर्भवती हुई, किसी को कानों कान खबर ना हो। इसलिए घर में भी ज्यादा किसी को नहीं बताया, शहर की सबसे बड़ी स्त्री रोग विशेषज्ञ की देखरेख में इलाज चल रहा था, मन्दिर में विधान दान और अन्य धार्मिक कार्य कराये... लेकिन.... ढाई महीने होने पर फिर वही बात हुई, जो पहले दो बार हो चुकी थी, किसी की समझ में कुछ नहीं आ रहा था कि क्या करें ?

फिर चौथी बार भी ढाई महीने का गर्भ गिरा

पाँचवीं बार भी और 

_छठवीं बार भी 

अब तो संगीता की शारीरिक क्षमता भी कम हो गई थी, और कमजोर भी बहुत हो गई थी_

कुछ सालों बाद संगीता सातवीं बार,.. उसे पता चला कि वो फिर गर्भवती हुई है, लेकिन चेहरे पर और मन में कोई ख़ुशी नहीं थी, एक रात आँखों में आंसू भरे पलंग पर लेटी थी और अपने भाग्य को कोस रही थी, सोच रही थी ऐसा क्या पाप किया होगा जो मुझे इतनी बड़ी सज़ा मिल रही है..?

अपने अतीत की और ध्यान दिया तो कुछ धुंधला सा याद आया..........

उसे बचपन से ही डॉक्टर बनने का शौक था, इसलिये उसने 10वीं पास करने के बाद बायलॉजी सब्जेक्ट लिया था, एक बार स्कूल में डिटेक्शन के लिये एक चुहिया को लेकर आये थे, और उसे बेहोश करके शिक्षिका ने संगीता से कहा ये लो चाक़ू और इसके पेट में कट लगाओ, संगीता ने डरते-डरते कट लगाया तो रक्त की धार बह निकली, और थोड़ी देर बाद वो चुहिया मर गई, उसके पेट भीतर देखा तो उसके गर्भ में बच्चे पल रहे थे, लेकिन पेट चीर जाने के कारण उनकी मृत्य हो चुकी थी, उन बच्चों की गिनती की तो वो 7 बच्चे थे_

अब संगीता को समझ आ गया था, कि ये कौन सा पाप है, जो आज मुझे सज़ा दे रहा है। भले ही उस दिन के बाद संगीता ने वो विषय ( सब्जेक्ट ) छोड़कर दूसरा ले लिया था, लेकिन अनजाने में ही सही पाप तो हो गया था।

अगले दिन सुबह उसकी सासू माँ जिनकी देव शास्त्र गुरू पर अटूट श्रद्धा थी, संगीता के कमरे में आईं और बोलीं कि चिंता मत करो बेटी! भगवान के घर देर है, अंधेर नहीं है। इस बार सब ठीक हो जायेगा,,,

_उसने रोते हुए कहा, नहीं मम्मी जी अभी भी ठीक नहीं होगा, अभी सज़ा पूरी नही हुई है, फिर उसने सबको वो घटना सुनाई, तो सबकी आँखें फ़टी रह गईं, बोले हे भगवान ...

ऐसा भी होता है।

और वही हुआ, सातवीं संतान भी ढाई महीने बाद चली गई।

अपनी करनी का फल सबको मिलता है।

कर्म किसी को नहीं छोड़ते, पापी हों या संत!

इसके बाद उस संगीता ने उस पाप का प्रायश्चित लिया और आखिरकार शादी के 9 वर्ष बाद संगीता को संतान सुख मिल गया, आज संगीता एक प्यारी सी बच्ची की माँ है।

आज संगीता की शादी को 19 वर्ष हो चुके हैं। लेकिन आज भी जब वह डिसेक्शन वाली घटना के बारे में सोचती है तो सिहर उठती है।

मित्रों, पाप करते समय हम परिणाम नही सोचते। ये तो अनजाने में हुए पाप की सज़ा थी‌। लेकिन कई ऐसे पाप हैं, जिन्हें हम जानते हुए भी करते हैं, इसलिये पाप से बचो!

जो आज बोओगे, वो ही कल काटोगे!!

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