मध्यांचल विद्युत वितरण निगम के लेसा में चाँदी के जूते का राज

Subscribe






Share




  • National News

लखनऊ 16 सितम्बर 2020

सूबे की राजधानी लखनऊ के मध्यांचल विद्युत वितरण निगम के लेसा में इन दिनों भ्रष्टाचार सर चढ़कर बोल रहा है। डिस्कॉम और उप्र के मुख्यालय यानि शक्ति भवन के करीब होने के बावजूद यहाँ के अधिकारियों की सरपरस्ती में विभाग में काम करने वाले अधिकारी सभी नियमों को ताक पर रखकर धड़ल्ले से अपने भ्रष्टाचार का साम्राज्य चला रहे हैं, जिसकी बानगी लेसा के सेस गोमती क्षेत्र के चौक सर्कल के ठाकुरगंज डिवीजन के आजाद नगर सब स्टेशन के अन्दर शराब पीकर डांस करते हुए देखने को मिली।

कर्मचारियों का एक वीडियो किसी ने निदेशक कार्मिक को दिया और साथ ही भारतीय तिरंगे के साथ शराब का पैग बनाने का भी वीडियो वायरल हुआ यानि राष्ट्रीय ध्वज का भी अपमान शराब के नशे में। जब तक किसी जिम्मेदार अधिकारी का वरदहस्त नही होगा तो कैसे सम्भव है? फिर जिसे प्रबन्धन के दबाव में लीपापोती की कार्यवाही करते हुए पाँच लोगों को निलंबित कर दिया था परन्तु इनमें से दो कर्मचारी आज भी चौपटिया स्थित बिजलीघर पर काम करते नजर आ जाएंगे, शेष तीनों वहीं आजाद नगर पावर हाउस पर कार्यरत मिल जाएंगे जबकि यह सब निलम्बित हैं।

यह कैसा निलम्बन यदि कार्य के दौरान कोई जानमाल क हादसा होता है तो इसके जिम्मेदार कौन ?

जब इस भ्रष्टाचार की जानकारी प्रगति यात्रा को मिली तो फिर मामले की सच्चाई जानने के लिए पड़ताल प्रारम्भ हुई पडताल मे जूनियर इंजीनियर, एसडीओ और पूर्व में तैनात रह चुके सेवानिवृत्त अधिशाषी अभियन्ता के त्रिकोणीय खेल का खुलासा उस समय हुआ जब पूर्व में चर्चित मात्र 1980 स्क्वायर फीट के पाँच मंजिला व्यावसायिक व आवासीय परिसर पर बिना विद्युत सुरक्षा निदेशालय के अनापत्ति प्रमाण पत्र के कनेक्शन दिया गया और फिर शुरू हुआ खेल चाँदी के जूते का। पहले तो अवैध कनेक्शन चाँदी के जूते से मुँह सुजवाकर दे दिया जाता है और फिर अपने ही किसी दलाल के मार्फत विजिलेंस को शिकायत कराई जाती है और फिर जब विजलन्स जाँच करने आती है तो वो भी इसी बंदरबाँट में शामिल हो जाती है।

उपभोक्ता का फिर शोषण किया जाता है इस खेल मे दलालों, लाइनमैन, सविदा कर्मचारियों से लेकर मुख्य अभियंता तक इस लूट के खेल मे शामिल होते हैं। यहाँ आम तौर पर बहुत सारी अवैध बहुमंजिला इमारतें हैं जिनके पास ना तो लखनऊ विकास प्राधिकरण के द्वारा स्वीक्रत मानचित्र होता है और ना ही विद्युत सुरक्षा निदेशालय के द्वारा दिया गया अनापत्ति प्रमाण पत्र होता है यानि कि UPPCL के द्वारा बनायी गयी समस्त नियमावलियों की धज्जियां उड़ाकर चाँदी के जूते की सेवा लेकर दर्जनों विद्युत कनेक्शन क्षेत्रीय विभागीय जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा आवंटित किये गये हैं। पुख्ता सूत्रों की खबरों के अनुसार इन विद्युत कनेक्शनों के आवंटन में सम्पूर्ण जोन के आलाधिकारियों व्दारा बड़े पैमाने पर मोटी मलाई जमकर उड़ाई गयी है।

वैसे पाठको को बता दें कि इस सर्किल मे बैठे अधीक्षण अभियन्ता व अधिशाषी अभियन्ता दोनो ही बड़का बाबू जी के खास हैं, दोनों के पास ही दो-दो चार्ज हैं। अधीक्षण अभियन्ता जी तो बड़का बाबू के दरबान यानि कि स्टाफ आफिसर भी है मध्यांचल विद्युत वितरण निगम के मुखिया यानी अवैध रूप नियुक्त बड़के बाबू जो कि अपने ही बनाए शीश महल से कोरोना के डर से निकलते ही नही और फिर भी संक्रमित हो गये, जनाब की नाक के नीचे सभी विभाग के सभी भ्रष्टाचारी मौज कर रहे हैं। ऐसे अनुभव हीन बड़का बाबू जी को शासन ने एक और बड़ी जिम्मेदारी से नवाजा है। पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम का प्रबंध निदेशक कार्यभार देकर सम्मानित किये गये यानि कि अब पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के मुख्यालय में भी कोरोना से बचने के लिए शीशमहल का निर्माण शीघ्र कराया जाएगा। वैसे लखनऊ स्थित कार्यालय मे अपने बनाए शीश महल से अब तो एक नही दो-दो डिस्काम चलाए जाएंगे। अब आगे देखना है कि अवैध रूप से तैनात बड़का बाबू जी क्या क्या गुल खिलाते हैं क्योंकि भ्रष्टाचार के मामले में पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम शीर्ष स्थान रखता है। वैसे निजीकरण के मुहाने पर खडे पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम में यह जनाबेआली क्या गुल खिलाते हैं कौन सा तीर मारते है? अविजित आनन्द प्रबंध संपादक और चन्द्र शेखर सिंह ब्यूरो चीफ प्रगति यात्रा मासिक समाचार पत्र लखनऊ

TTI News

Your Own Network

CONTACT : +91 9412277500


अब ख़बरें पाएं
व्हाट्सएप पर

ऐप के लिए
क्लिक करें

ख़बरें पाएं
यूट्यूब पर