तृतीय गृह त्रयोदश गृहाधीश श्रीव्रजभूषणलालजी महाराज(चतुर्थ) - 9

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।।श्रीद्वारकेशो जयति।।

तृतीय गृह गौरवगान

प्रसंग:- 232

 

तृतीय गृह त्रयोदश गृहाधीश श्रीव्रजभूषणलालजी महाराज(चतुर्थ) - 9

 

कल के प्रसंग के समापन में हमने देखा कि काशी में आयोजित 'अखिल भारतवर्षीय ब्राह्मण-महासम्मेलन' में सम्मिलित होने नाथद्वारा के तिलकायित श्रीगोवर्द्धनलालजी के पुत्र श्रीदामोदरलालजी और श्रीव्रजभूषणलालजी वल्लभाचार्य सम्प्रदाय के आचार्य स्वरूप में काशी पधारे। आज उस सम्मेलन का विवरण प्रस्तुत कर रहे हैं।

 

"आयोजकों के नीतिचातुर्य और निःस्वार्थ व्यवहार से ही ऐसा अभूतपूर्व समारोह किया जा सका। चारों सम्प्रदायों के आचार्य और गद्दीधर महन्त तथा प्रख्यातनामा प्रायः सभी विद्वान् काशी में एकत्रित हुए, और धर्मप्रचार के प्रेमी काशी-नरेश, दरभंगा-नरेश और कृष्णगढ़-नरेश आदि नृपतियों ने स्वयं उपस्थित होकर उसमें भाग लिया।"

 

"महासम्मेलन के खुले अधिवेशन के पूर्व तीन दिन तक विद्वानों की विचार-सभा हुई, जिसमें समयोचित प्रश्नों के लिए शास्त्रार्थ रूप से निर्णय तैयार किया गया। इस समय सभी आचार्यों एवं पंडित-समाज ने सहयोग देकर एक धर्मशास्त्रीय व्यवस्था लिखकर प्रकाशित की। कार्तिक कृ.9,10,11 इन तीन दिनों तक विशाल अधिवेशन हुआ, जिसकी उपमा नहीं दी जा सकती। वेद भगवान् की अनुपम सवारी और धर्माचार्यों के भव्य जुलूसों ने काशी नगरी में एक बार फिर प्राचीन धर्मप्रियता का दृश्य दिखला दिया। सम्मेलन में उपस्थित प्रखर विद्वानों की सौजन्यपूर्ण प्रकृति, सादी वेशभूषा तथा अविच्छिन्न संस्कृत भाषा का सप्रमाण धारावाहिक भाषण भारत की गौरववृद्धि करता था। इस अभिनव  एवं अभूतपूर्व समारोह में सम्मिलित होकर महाराजश्री को भारत के प्रायः सभी प्रखर विद्वानों के परिचय एवं दर्शन का अवसर मिला।"

 

"इस समारोह के अनन्तर काशी- निवासी जनता ने सभी धर्माचार्यों का यथायोग्य सत्कार किया, और वैष्णवधर्म के अनुयायियों ने अपने सम्प्रदाय के अधिपति श्रीदामोदरलालजी तथा व्रजभूषणलालजी महाराज को अपने-अपने घर पधराकर सम्मानित किया। महाराजा हथुवा-नरेश ने रात्रि के दो बजे अपने स्थान पर बड़े सत्कार के साथ पधरावनी की, जो समय की विभिन्नता से अपना विशेषत्व रखती थी।" 

 

श्रीव्रजभूषणलालजी का सम्प्रदाय के आचार्य के रूप में ऐसे विशाल और अति महत्त्वपूर्ण समारोह में, केवल 17 वर्ष की वय में, सम्मिलित होना ही न केवल तृतीय गृह के लिए, अपितु पूरे सम्प्रदाय के लिए गौरव का विषय है।

 

आज यहीं पर विराम लेते हैं। कल ऐसी ही एक गौरवशाली घटना का विवरण लेकर फिर उपस्थित होंगें। आज एक ऐसा चित्र प्रस्तुत कर रहे हैं जिसमें श्रीव्रजभूषणलालजी श्रीगोपीनाथजी महाराज(बंबई) और ति.श्री गोविन्दलालजी महाराज(नाथद्वारा) के साथ किसी विषय पर चर्चा करते हुए दृश्यमान हो रहे हैं।

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