कुछ पत्रकारों को समर्पित मेरा यह लेख

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  • Jeevan Mantra

एक जमाना था जब पत्रकारों से मिलने के लिए जिले के कलेक्टर और एसपी समय लिया करते थे। लेकिन आज चंद पत्रकार खुद ही उनके आगे-पीछे घूमते दिखाई दे रहे हैं। इसके पीछे उनकी कोई न कोई स्वार्थ नीति छुपी रहती है! इन चंद पत्रकारों की वजह से आज वास्तविक पत्रकारों का जमीर एक तरह से खूंटी पर टंगा हुआ है। आज कल यह चंद पत्रकार खबर के नाम पर प्रशासनिक अधिकारियों, पुलिस अधिकारियों के पास डेरा डाले चापलूसी व दलाली करते दिखाई दे जाते हैं ? याद रखें यह चापलूसी करने की आदत उन्हें अपने जमीर से नीचे गिरा रही है। यहां बड़ा सवाल यह उठता है कि कहां गई वह कलम की ताक़त, जिसमें सच्चाई और ईमानदारी के साथ पत्रकारों की खुद्दारी होती थी। यहां मेरा कहने का आशय यह है कि कृपया पत्रकार अपने जमीर को खूंटी पर न टांगें। ऐसे चंद पत्रकारों की वजह से ही सच्चे पत्रकारों को अपनी पत्रकारिता की कुर्बानी देनी पड़ रही है। पत्रकारों द्वारा किये जा रहे ऐसे कार्यों से मन बहुत कुंद होता है। मैं सभी पत्रकार बंधुओं से हाथ जोड़कर अपील करता हूँ कि कृपया पत्रकारिता करते समय अपनी कलम की ताकत को पहचानते हुए इस बात को याद रखें  कि••••••

(कलम की ताकत बहुत होती है उसको पहचानें, सम्मान दें)                                                                                                          मेरा तो बस एक की मकसद है जिसको मैं इन चंद लाइनों की माध्यम से व्यक्त कर रहा हूँ ...

                                

आंधियां गम की चलेंगी तो भी संवर जाऊंगा..

मैं तो दरिया हूं, समंदर में उतर जाऊंगा..!

मुझे सूली पर चढ़ाने की जरूरत क्या है.?

मेरे हाथों से कलम छीन लो मर जाऊंगा.!

(जय हिन्द, वन्देमातरम)

यह मेरे अपने खुद के विचार हैं यदि इस लेख से किसी पत्रकार भाई को कोई आपत्ति है तो मैं क्षमा प्रार्थी हूँ। 

तरुण तिवारी पत्रकार बकेवर इटावा

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