जब बंसी वारे ने सुनाया यह शेर - "चाहो तो मेरे हाथों की तलाशी ले लो, मेरे हाथों में लकीरों के सिवा कुछ भी नहीं!"
बोला बंसीवारा- "यह हाथ भी मेरे हैं और लकीरें भी मेरी ही खींची हुई हैं, तेरे पास अपना क्या है, कुछ भी तो नहीं है!"
आज हरि और हर दोनों का दिन, सावन का दूसरा सोमवार ही नहीं, एकादशी नाम से जाना जाने वाला हरि दिवस भी!
बंसी वारे के पास क्या था, जो करता वह अर्पण, था अपना कुछ नहीं, कर दिया पूर्ण समर्पण, रीझ गया बंसीवारा!
हम न सोचें हमें क्या मिला है, हम ये सोचें किया क्या है अर्पण? आपने भक्तों को लुटवाया है, भगवान छोड़ देंगे?
आज का बब्बर शेर - जितनी हसरतें हों दिल में, सभी निकालो, मेरे आज़माने वालों, मुझे तुम खूब आज़मा लो!
बंसी वारे का बंसीवारा, शुरू से रखता आ रहा बड़ा ध्यान, बचपन से बनाया मेधावी, नहीं होने दिया कभी अभिमान!
बंसी वारे ने देखे बड़े-बड़े सिद्ध और सिद्धियां, जिन्होंने किया सीध्दियों का दुरुपयोग, तड़पकर-तड़पकर मरते भी देखा है!
ज़ेहन में कौंधता सवाल- भारत की भोली-भाली जनता लूटे जाने के लिए ही बनी है और नेता लूटने के लिए ही बने हैं?
अगर किसी को हो गुमान तो ले जान, अपनी जन्मभूमि पर किसी लुटेरे को मैं रहने नहीं दूंगा, बंसी वारे का खुला ऐलान!
रखा करो नज़दीकियां, ज़िंदगी का कुछ भरोसा नहीं, फिर मत कहना चले गए और बताया भी नहीं! -संजू गुरु संदेश
मथुरा-वृंदावन आकाशवाणी केंद्र के वरिष्ठ उद्घोषक डॉ. सत्यदेव आज़ाद को भावभीनी श्रद्धांजलि, स्मृतियां शेष!
डॉ. सत्यदेव आज़ाद ने विगत दिनों ली अंतिम सांस, बंसी वारे को बहुत कुछ सीखने को मिला, यादों में सदैव रहेंगे!
सीख कर बंसी वारे ने लिख दिखाया जब लेख, तब बोले यही, डॉक्टर आज़ाद कि "तुम्हारे पीसे को, मैं क्या छानूं?"
जब हुए थे सेवानिवृत्त तो बंसी वारे ने डॉ. सत्यदेव आज़ाद को समर्पित की थीं अज्ञात कवि की यह प्रासंगिक पंक्तियां-
है सरल आज़ाद होना, पर है कठिन आज़ाद रहना, देश को श्री शक्ति देने के लिए, आपको अभी और है कष्ट सहना!
ठेकेदार ने भ्रष्टाचारियों को मिलाकर ठेके की आड़ में चला दिया पूरे जिले में सिलबट्टा, योगी की साख को बड़ा बट्टा!
मथुरा में बंगाली घाट समेत कई चौकियों के प्रभारी बदले, देखो क्या होता है इस बार, परिदृश्य भी शायद कुछ बदले?
मथुरा के लुटेरे सफ़ेदपोश ठेकेदारों के लंबे हाथ, विधायक/पूर्व बार अध्यक्ष तक को ब्लैकमेल करने का किया प्रयास!
राजनेता सिर्फ सत्ता के भूखे, जनकल्याण से नहीं लेना-देना, लुटेरों को आती सिर्फ राज्य हासिल करने की नीति, लुटेरे!
राज्य हासिल होने के बाद हज़ार माध्यमों से कराते लूट, कहते सरकारी भंडार से देकर राशन- "मैं अन्न दे रहा हूं!"
गा रहे लुटेरे- पत्थर से शीशा टकरा के, कहते हैं दिल टूटे न, उस धन की क़ीमत कुछ भी नहीं, जिस धन को लुटेरा लूटे ना!
डुबवाने/लुटवाने वाले क्या डुबवाएंगे/लुटवाएंगे? देखना तब, जब लूटेगा/डुबोएगा बंसीवारा, कौन बचाने आता है?
लुटेरों को सरकार मानें? श्रद्धालुओं को लूटना/लुटवाना आसान है, कभी खुद भी लुटकर दिखाओ तो जानें!
आज का भजन- सब माया के बंधन झूठे, सच्ची है एक तेरी भक्ति, उसने जग को जीत लिया है, जिसे मिली है तेरी शक्ति
सावन का दूसरा सोमवार है, विशेष सावधानी की दरकार है, शिवालयों में श्रद्धालुओं के मध्य, जारी लुटेरों की लूटमार है!
किन्हीं कारणों से मंदिर न जा पाओ तो कहीं भी सच्चे श्रद्धा भाव से 'ओम नमः शिवाय' जाप कर लेना, शिव वहीं मिलेंगे!
दृष्टव्य- धर्मस्थलों पर अधर्म कराने वालों का गज़ब नज़ारा है, सब कुछ बटोरने में लगे हैं, खाली हाथ जाने के लिए!
सच्चा भाव अगर जन कल्याण का हो तो सरकार कुछ भी कर सकती है, सृष्टि और प्रलय सरकार के हाथ में होते हैं!
अगर भाव जन कल्याण का न हो तो बंसीवारा कुछ नहीं करने देता है, होता वही, होगा वही, जो चाहता बंसीवारा!
छोड़ो कल की बातें, कल की बात पुरानी, नए दौर में लिखेंगे हम, फिर से नई कहानी, हम हिंदुस्तानी, हम हिंदुस्तानी!
नया ख़ून है, नई उमंग है, फिर से नहीं जवानी, आओ मेहनत को अपना ईमान बनाएं, सबसे अच्छा-प्यारा हिंदुस्तान बनाएं
आज नहीं, सदैव प्रासंगिक गीत- इक बंजारा गाए, जीवन के गीत सुनाए, हम सब जीने वालों को, जीने की राह बताए!
किसी की मुस्कुराहटों पे हो निसार, किसी का दर्द मिल सके तो ले उधार, किसी के वास्ते हो तेरे दिल में प्यार, जीना इसी का नाम है
बंसी वारों की बात मत पूछो जी, प्यारे के प्यारों की बात मत पूछो जी, जो प्यार किया तो प्यार किया, जो नफ़रत की तो?
बिहारी जी के दर्शन को आए यूपी के ऊर्जा मंत्री का किया विरोध, दिल्ली की सीएम को कराई पूजा, लाल लटके थे?
ठेका बंद हो गया है या कि श्री कृष्ण नगरी के लुटेरे मंदिर छोड़कर कहीं और चले गए हैं, कुछ भी तो नहीं बदला!
मथुरा कोतवाली पुलिस से 3 साल में बरामद नहीं हो सकी एक अदद चेन, लूट कराने वाली सरकार ओढ़ें या बिछाएं?
लगता है, जैसे सब कुछ भौतिक जगत के अनुसार चल रहा, मगर ऐसा होता नहीं है, जो लिखा विधाता ने, होता वही है!
आजकल न्याय के देवता शनि देव की चल रही अंतरराष्ट्रीय अदालत, अच्छे को तिगुना अच्छा, बुरे को तिगुना बुरा फल!
जिसने भी जीवन में किए हों अच्छे-बुरे कर्म, खुद चेक करके देख ले, यही चल रहा होगा, इससे अलग हटकर कुछ नहीं!
सच्ची कहानी- एक सिद्ध थे, बोलते थे, वही होता था, किसी से कुछ नहीं लेते थे, किसी ने शुरू करा दिया, सिद्ध चले गए
सिद्ध और सिद्धियां जनकल्याण के लिए होती हैं, इनका प्रयोग निहित स्वार्थ के लिए जो करता है, बुरी तरह मरता है!
भारत सिद्धों और सीध्दियों का देश, स्वार्थियों ने समझा सिद्धियों को खेल, जो खेले, सिद्धियां रहीं अब उनसे खेल!
कलयुग में सिद्धता पहाड़ों पर तपस्या करने से नहीं मिलती, अपने अंदर रखो जितनी शुद्धता, आ जाती उतनी सिद्धता!
सच्चे का बोलबाला, झूठे का मुंह काला, सच्ची टीटीआई न्यूज़ चल रही है, लुटेरों की फौज धू-धू कर जल रही है!
सच बोलने का हुनर रखते हैं दुनियादारी की कला नहीं रखते आवाज़ तीखी है तल्ख़ है हम 2 सुरों वाला गला नहीं रखते
प्रासंगिक शेर - विश्वास में वास है विष का, आशा में छुपी है निराशा, शब्दों के संग न बहना, है फ़र्क भरी हर भाषा!
जो ख़बर आनी चाहिए, वह आती नहीं तो फिर जाती कहां है? मैनेज हो जाती है, आजकल मैनेज्ड ख़बरें ही आती हैं!
ख़बरों की दुनिया में हर ख़बर, ख़बर होती है मगर हर ख़बर, ख़बर नहीं होती, देखना चाहो जिसे, वह ख़बर ही नहीं होती!
महीनों बाद बंसी वारे ने उठा कर देखा तो ख़बर ही नहीं मिली, जो मिलनी चाहिए थी, अतः बंद करा दिया अखबार!
घरवाली से कहा, अखबार वाले से कह देना, कल से न डाले, अखबार वाला बोला, 1 तारीख से बंद होगा, सच्ची कहानी!
"जब मैं था, हरि नहीं; अब हरि हैं, मैं नहीं!" जिस दिन इंसान हरि को जान जाता है, फिर इंसान नहीं, हरि ही रह जाते हैं!
अधर्म का कितना ही बड़ा नेक्सस क्यों न हो, नेस्तनाबूद होकर रहेगा, कितना ही पुराना ठेका हो, बंद होकर रहेगा!
अखिल ब्रह्मांड नायक योगेश्वर भगवान श्री कृष्ण की शरण में आने से ही शांति मिलेगी- भागवताचार्य अनिरुद्धाचार्य
सारे वेद-शास्त्रों और ग्रंथों का सार- "सुख दिए सुख होत है, दु:ख दिए दु:ख होय!" - पंडित श्री कामेश्वर नाथ चतुर्वेदी
किसी मंदिर में अगर कोई महिला दे बैड टच, छाती से मारे टक्कर, बचाना चेन-कुंडल, पर्स-मोबाइल, स्नैचर्स होंगे घेरे!
देश-दुनिया से श्री कृष्ण नगरी आने वाले श्रद्धालुओं को लुटवाने वाले वही हैं, चुनाव में वोटर्स को ढोने वाले भी वही हैं!
हम लुटेरों में रहे मगर कभी लूट का हिस्सा नहीं रहे, बंसी वारे की कृपा क्या कम है? "आग में रखा, जलने नहीं दिया!"
बंसी वारे का पसंदीदा संदेश वाहक गीत- मैं बसाना चाहता हूं, स्वर्ग धरती पर, आदमी जिस में रहे बस आदमी बनकर!
कोई पापी यह न सोचे कि बंसीवारा आंखें मूंदे बैठा है, एक नज़र अखिल ब्रह्मांड पर, दूसरी नज़र मथुरा पर जमाए बैठा है
श्रद्धालुओं के चेन-कुंडल-पर्स-मोबाइल खिंचवाने के लिए बाहर से बुलाए जाते स्पेशलिस्ट महिला-पुरुष, बच्चे-बुजुर्ग
शेर - जिऊंगा जब तलक, मथुरा के चोट्टा दल को लताड़ूंगा, चढ़ गया जिस भी दिन दाव, पूरे गिरोह को पछाड़ूंगा।
बंसी वारे से अब तक जो-जो करा चुका बंसीवारा, सोच-सोच चोट्टा दल बेचैन, आगे न जाने क्या-क्या कराए बंसी वारा?
अपराधिक सफ़ेदपोशों के लिए शेर- आंधियों तुमने लाख चराग़ बुझाए होंगे, एक चिराग़ जलाकर दिखाओ तो मानें!
आज जबकि मंदिर में खड़ा बाप बेटे से, कुमार्गी अपने कंधे पर लिए बच्चे से तुड़वा रहा चेन, इसे ही सुशासन कहते हैं?
Fact - Everything is in hands of God, Nothing is in our hands.
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