भजन- फूलों में महक तुमसे, तारों में चमक तुमसे, इतना बता दो कहां तुम नहीं हो, ये सब को पता है तुम हर कहीं हो
अखिल ब्रह्मांड नायक योगेश्वर भगवान श्री कृष्ण ही बंसीवारा, 3 लोक और 14 भुवनों का मलिक बड़ा प्यारा
कभी घमंड नहीं करता है, घमंड को चूर-चूर जरूर करता है, जो सच्चे दिल से करता प्रेम, उसका रक्षक जरूर रहता है!
जब-जब इस धरती पर धर्म की हानि और अधर्म का प्रावल्य हो जाता है, तब-तब ही मैं जन्म लेता हूं -योगेश्वर श्री कृष्ण
आज की पैरोडी प्रार्थना- करते कंसों का संहार हो तुम, श्री कृष्ण तुम्हारी जय होवे, जन लाज बचावन हार हो तुम
श्री कृष्ण तुम्हारी जय होवे, करते हैं अरज यही सदा, मन व्याधि/विकार न हो पैदा, संसार के प्राण आधार हो तुम
यमुना मैया को बंसी वारे ने सुनाया पैरोडी गीत- अगर तू है तारने वाली मैया तो डुबोने वाला मझधार सबका बाप मैं हूं
श्राद्ध का प्रथम दिन था, बंसी वारे ने सोचा यमुना मैया के दर्शन कर आऊं, और लगे हाथ पितृ तर्पण भी कर आऊं
बंसीवारा सब जान रहा था, बोला चल, मैं भी चल रहा हूं तेरे साथ, मैं भी अपनी पटरानी यमुना महारानी से मिल आऊंगा
बंसी वारे के साथ था बंसीवारा, तभी तो सड़क तक स्वागत को आईं श्री श्याम सुंदर यमुने महारानी, लाईं सच्ची कहानी-
आप ही देख लो, मैं तो सभी देवी-देवताओं के लिए बाढ़ के रूप में लाई शुद्ध पानी, उसमें भी मिल रहा सीवर का पानी
क्या कहता बंसीवारा- "आप चिंता मत करो यमुने महारानी, निकम्मों को मैं देखूंगा, अभी इनको कर लेने दो मनमानी!"
बृजवास कर रहे सर्व देवी-देवताओं के स्नान को बाढ़ बन आई यमुना मैया, नाकामियों ने मिलाया सीवर का पानी
यमुना की बाढ़ ने किस-किसके अरमानों पर फेरा पानी, सोचो-समझो बाढ़ से परेशान कौन, यह आज का व्यंग्य-
अबे ओए छोरा यमुना किनारे वारे, आज कोई तोड़ी कि नांए? अरे मालिक कैसी बात कर रहे हो? बाढ़ चल रही है!
तौ काह भयो, चलते-फिरते ही हाथ मार देतौ, कैसी बात कर रहे हो मालिक? आरती में श्रद्धालु होते, तभी तौ हाथ मारतो
सच्चा फ़िल्मी गीत- आजा-आजा मेरे मिट्ठू मियां, तुझे पिंजरे में बंद कर लूं, मिट्ठू मियां से मीठी-मीठी, बातें मैं चंद कर लूं
सच्ची कहानी- लुटेरों ने पाल रखे लैंगिक/समलैंगिक तोते/तोतियां, सोशल मीडिया चैटिंग से सेटिंग, फिर ब्लैकमेलिंग
हर प्राणी की आत्मा परमात्मा की पावर से संचालित, लोग सोचते सब कुछ वह कर रहे, वास्तव में सब कुछ परमात्मा
आत्मा परमात्मा का प्रतिबिंब, प्राणी के अंदर जो आत्मा, उसका परमात्मा से मोबाइल टावर और सिग्नल जैसा संबंध
अनुभूति- जिस किसी बंसी वारे का बंसीवारा साथ देता है, अखिल ब्रह्मांड की सारी शक्तियां उसका साथ देने लगती हैं
गहरी बात- ब्रह्म मुहूर्त में जब आंख खुले, निर्मल भाव से बोलना बंसी वारे की जय, अंदर से जवाब न मिले तो बताना
आज का शेर- न मैं गिरा, न मेरी उम्मीदों के मीनार गिरे, मुझे गिराने की कोशिशों में कुछ लोग मेरी नज़रों से जरूर गिरे!
बंसी वारे ने की प्रार्थना- हरि कर दो दूर अंधेरे, गुरुदेव सांवरिया मेरे, हरि ने दिखा दिए इर्द-गिर्द कितने लुटेरे
गुनगुनाती पंक्तियां- क्या भेंट करूं तुमको, क्या चीज़ हमारी है? यह दिल भी तुम्हारा है, यह जां भी तुम्हारी है?
कहते हैं प्रभु सत्य वचन कि तेरे पास अपना कुछ भी नहीं, तेरा सिर्फ "अहंकार" है, वह भेंट कर, वही मेरा भोजन है!
निर्मल मन जन, सो मोहि पावा, मोहि कपट छल छिद्र न भावा अर्थ स्पष्ट है कौन प्रभु को पाते, कौन-कौन नहीं भाते!
बंसी वारे के जरिए जो कहता बंसीवारा, समझदार समझते सत्य है यह सब सारा, 24 कैरेट सोने से ऊपर वाला बिठूर
भगवान की लीला को समझ पाना कठिन नहीं, बहुत सरल है मगर उनकी लीला समझने के लिए होना पड़ता निर्मल है
सत्य- पानी होती जिसकी प्रसादी, भिक्षुक रूप में जाकर भी हरि पाते, पापी धराएं लाख छप्पन भोग, सब धरे रह जाते!
जब गोद ही नहीं रहेगी तो गोद भराई कौन देगा, इसलिए गोद में बैठे लोभी-लालची और मजबूर गोद से उतर रहे हैं?
कहत हरिदास- हरि कौ सब ऐसौ ही खेल, यौं पंछिन में ढेल! कंकड़ी के गिरते ही दाना चुगते सारे पंछी फुर्र से उड़ जाते हैं
बंसी वारे ने ग्राउंड जीरो पर उतर जाना- "लोग मीडिया को दे रहे थे उलाहना, पीड़ितों का दर्द किसी से नहीं जाता जाना!"
सच्ची कहानी- संसार का प्राण आधार बंसीवारा थोड़ा समय जरूर लेता है मगर उसके पीसे को, कोई छान नहीं पाता है!
गीत- बिन मांगे ही मिलती हैं यहां, मन की मुरादें, दिल साफ़ हो जिनका, वो यहां आके सदा दें, मिलता है जहां न्याय,
वो दरबार यही है, दुनिया की सबसे बड़ी सरकार यही है! (यही सरकार परमानेंट, और कोई सरकार परमानेंट नहीं)
लिखने वाले कब के लिख गए, गाने वाले गा गए, नासमझ आज तक नहीं समझे- "भगवान के घर देर है, अंधेर नहीं है!"
जब तुझसे न सुलझें तेरे उलझे हुए धंधे भगवान के इंसाफ पे सब छोड़ दे बंदे, खुद ही तेरी मुश्किल को वो आसान करेगा,
जो तू नहीं कर पाया, वो भगवान करेगा! (जो अर्जुन नहीं कर पाता, वो संसार के मालिक श्री व्दारकाधीश करते हैं)
पैरोडी पंक्तियां- यमुना आदि नदियों में बाढ़ और समुद्र में तूफ़ान तो आते हैं, जो प्रभु के भरोसे हैं, प्रभु आप बचाते हैं
आज का विचार- भोले-भाले लोगों से जो खेलते, बंसीवारा उन पर कहर बनकर टूटता है, थोड़ा समय जरूर लेता है!
कान्हा पहलवान ने कही गहरी बात- गुरु, मैं चैन में इसलिए हूं क्योंकि मैंने धोखा खाया है, किसी को धोखा दिया नहीं है
गीतकार डॉ विष्णु सक्सेना की पंक्तियां- एक दिन फूल से तितलियों ने कहा- कैसे रहते हो खुश तुम हर इक हाल में?
फूल बोला कि खुशबू लुटाता हूं मैं, इसलिए रहता हूं मैं मस्त हर इक हाल में! (कमी नहीं कोई उस घर में, हरि करते वास)
राहुल को नहीं अभी इतनी जानकारी, सच्चे पत्रकार रखते जितनी जानकारी, डाल-डाल ही नहीं, पात-पात से नाता
एक दिन खुलेंगे उनके भी कुकर्म, ईमेल/पासवर्ड प्रदान कर कराए जाते जिनसे कुकर्म, पासवर्ड देने/लेने वाले भी खुलेंगे
आज का पैरोडी गीत- मोबाइल और सिस्टम आपका मगर चलाता कोई और है, कौन कर सकता इतनी बड़ी हिमाकत?
एक पाप खुल गया, शेष पाप भी देखना अपने आप खुलते चले जाएंगे, सफ़ेदपोशों के चेहरे काले पड़ते चले जाएंगे
है न गीता के ज्ञान में भी सिर्फ और सिर्फ वही, बंसी वारे के जरिए जो समझाता आ रहा बंसीवारा- जैसा कर्म, वैसा फल
लीलाधर की सब लीला, वही लीला सबके सर देता धर, जिनके जरिए हो लीला, कभी न सोचें, वह रहे कुछ कर
राधे तू बड़भागनी कौन तपस्या कीन, तीन लोक तारन तरन, सो तेरे आधीन? हमारो धन राधा श्री राधा श्री राधा श्री राधा
राधे तू बड़भागनी, कौन तपस्या कीन, तीन लोक तारन तरन, सो तेरे आधीन? हमारो धन राधा, श्रीराधा, श्रीराधा, श्रीराधा!
खुद बंसीवारा कहता डंके की चोट- 100 सांप खड़े हों, उधर से निकल जाना, किसी बंसीवारे की ओर भूल से मत जाना!
अद्भुत, अविश्वसनीय, अकल्पनीय मगर 100% सच्ची, बंसी वारे की सच्ची कहानी, बंसीवारा कहता खुद अपनी ज़ुबानी!
मैंने कर्म का संदेश दिया है, तुम कुकर्म कराओ या करो सुकर्म, यह तुम्हारी मर्जी, जैसा कर्म, वैसा फल, मेरा फ़र्ज़!
सच्ची कहानी- श्री कृष्ण नगरी के मंदिरों में लगती लुटेरों की ड्यूटी, लुटेरों और लूट पर सरकारी कर्मचारी रखते नज़र!
बंसीवारे का चेन नहीं बरामद करा सके, लुटवा डाले श्रद्धालु असंख्य, ऐसे लुटेरों को ओढ़े या बिछाए, खुद देखे जनता?
देश-दुनिया वासियों को श्री राधा अष्टमी की हार्दिक बधाई, स्वीटी सुपारी, एमआर ग्रुप मथुरा निदेशक सुनील अग्रवाल
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