ओरल और मैक्सिलोफेशियल सर्जरी में रामबाण साबित होगा नोवेल आर्क बार

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के.डी. डेंटल कॉलेज के चिकित्सकों ने चेहरे की सर्जरी को ईजाद की नई तकनीक

मथुरा 9 जनवरी 2021

आज की भागदौड़ भरी जिन्दगी में शरीर या चेहरे पर चोट लगना आम बात हो गई है। शरीर के अन्य हिस्सों की अपेक्षा चेहरे का आघात कहीं अधिक कष्टकारी होता है। मैक्सिलोफेशियल सर्जन भी मानते हैं कि चेहरे की सर्जरी मरीज के लिए सबसे दर्दनाक होती है। के.डी. डेंटल कॉलेज एण्ड हास्पिटल के मैक्सिलोफेशियल सर्जनों द्वारा दिन-प्रतिदिन अभ्यास के बाद और प्राप्त अनुभव से नोवेल आर्क बार तकनीक ईजाद की है। यह न केवल पीड़ित के लिए कम कष्टकारी है बल्कि इसके दीर्घगामी फायदे बहुत हैं। 

के.डी. डेंटल कालेज के चिकित्सकों का कहना है कि इंटरमेक्सिलरी फिक्सेशन में उपयोग की जाने वाली सबसे आम विधि एर्च आर्क बार और आईएमएफ स्क्रू हैं लेकिन इसके अपने नुकसान हैं। इस विधि से सर्जरी में जहां समय अधिक लगता है वहीं पीरियडोंटियम के लिए आघात, स्वच्छता, पार्श्व और बाहर की दिशा में दांतों की गति, आर्च बार को ढीला करना किसी सर्जन के लिए जोखिम भरा होता है। इस विधि से उपचार के बाद रक्तस्राव की सम्भावना बनी रहती है। चिकित्सकों का मानना है कि चेहरे के फ्रैक्चर के प्रबंधन में बोनी टुकड़ों का स्थिरीकरण प्रमुख होता है। इंटरमेक्सिलरी फिक्सेशन रोड़े को सही करने और ऑपरेटिव रूप से पोस्ट करने की कुंजी है जो इसे स्थिरता में सहायता करता है या मामूली ओक्लसिव विसंगतियों को ठीक करता है। 

परम्परागत एर्च आर्क बार विधि की खामियों को देखते हुए केडी डेंटल कॉलेज एण्ड हॉस्पिटल के ओरल और मैक्सिलोफेशियल सर्जरी के पोस्ट ग्रेजुएट प्रशिक्षु डॉ. सोमेंदु कारक, विभाग प्रमुख डॉ. शिशिर मोहन देवकी के मार्गदर्शन में एक नया आर्क बार- नोवेल आर्क बार तैयार किया गया है। नोवेल आर्क बार तैयार करने से पहले 2017 से 2019 तक विभिन्न रोगियों पर मैक्सिलोफेशियल सर्जरी का तुलनात्मक अध्ययन किया गया। तीन साल के अध्ययन के बाद डॉ. सोमेंदु कारक ने निष्कर्ष निकाला कि नोवेल आर्क बार न केवल पारम्परिक आर्क बार के नुकसान को दूर कर सकता है बल्कि इसका उपयोग करना भी आसान है और कम समय लगता है। 

विभाग प्रमुख डॉ. शिशिर मोहन ने कहा कि "नोवेल आर्क बार" मैक्सिलोफेशियल आघात के उपचार के लिए पारम्परिक आर्क बार का एक प्रभावी विकल्प प्रदान करता है। आर्कियोलॉजी बार बौद्धिक सम्पदा कार्यालय, भारत द्वारा पेटेंट (पेटेंट संख्या-201831012950) भी प्रदान करता है। इस शोधात्मक अध्ययन को कॉलेज की नैतिक समिति ने सहमति दी तथा डीन डॉ. मनेष लाहौरी ने इस नवाचार का समर्थन किया और इस अभिनव कदम के लिए डॉ. सोमेंदु कारक को प्रोत्साहित किया।

आर.के. एज्यूकेशन हब के अध्यक्ष डॉ. रामकिशोर अग्रवाल ने एक और नवाचार के लिए मैक्सिलोफेशियल सर्जरी विभाग के चिकित्सकों को बधाई दी। उपाध्यक्ष पंकज अग्रवाल, प्रबंध निदेशक मनोज अग्रवाल ने डॉ. कारक और डॉ. देवकी को उनके सराहनीय शोध के लिए बधाई दी और कहा कि यह नवाचार समाज के लिए बहुत लाभदायक साबित होगा।

चित्र कैप्शनः नोवेल आर्क बार विधि से सर्जरी करते हुए डॉ. शिशिर मोहन और डॉ. सोमेंदु कारक।

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