प्रासंगिक भजन- श्रद्धा रखो जगत के लोगों, अपने दीनानाथ में, लाभ-हानि, जीवन और मृत्यु, सब कुछ उसके हाथ में
आज का विचार - किसी का चैन तुड़वाने से सपने में भी चैन नहीं मिलता है, लूटने/लुटवाने से कोई मालदार नहीं होता है
कैसे सांझ-सवेरे देखे हैं? सूरज के आसन पे बैठे घने अंधेरे देखे हैं, ठंडे कमरों में बेचैनी, फुटपाथों पे लोगों के रैन-बसेरे देखे हैं
महा विचार - लुटेरे के लिए जो महत्व सोने की चैन का होता है, भक्त के लिए वही महत्व चैन से सोने का होता है
आज जबकि मंदिर में खड़ा बाप अपने बेटे से, कुमार्गी कंधे पर लिए बच्चे से चैन तुड़वा रहा, गुरु ज्ञान बेहद जरूरी!
सच्चा गुरु कोई भी हो, यही कहता- सदैव अच्छे कर्म करो, अच्छा करने से होता बहुत अच्छा, बुरा करने से बहुत बुरा!
आज के लिए बेहद प्रासंगिक पंक्तियां- गुरु की करनी गुरु भरेगा, चेला की करनी चेला, उड़ेगा हंस अकेला!
ऐसी ही दो पंक्तियां और- "न गुरू चलेगा, ना साथ चलेंगे तेरे चेले, तेरे करम अकेले ही, तुझे ले जाएंगे धकेले!"
अखिल ब्रह्मांड नायक योगेश्वर भगवान श्री कृष्ण जगतगुरु कहे गए हैं, जिन्हें नहीं मिल पाते, उनके लिए गुरु धरे गए हैं
जिन गुरुओं से जीवन जीने का सच्चा तरीका सीखने को मिलता है, उनके प्रति श्रद्धा का पर्व है- "गुरु पूर्णिमा!"
अपना-अपना विश्लेषण, कुछ कहते कि गुरु पूर्ण मां होता है, कुछ कहते कि पूर्ण गुरु मां होती, मानी जाती प्रथम गुरु मां!
जिसे भी मानो, सच्चे हृदय से मानो, इतना अवश्य जानो अन्यथा किसी को गुरु बनाना, नहीं बनाना एक समान है
अर्थात् जो गुरु के अनुरूप आचरण नहीं करते, उनका किसी को गुरु बनाना व्यर्थ है, गुरु बनाया है तो मानो भी!
बदले परिवेश में कुछ ओछी मानसिकता वाले स्वार्थी तत्व अपने गुरुओं को ही नहीं, जगद्गुरु को भी धोखा देते हैं
वह दिखावे को तो "गुरु-गुरु" कहते हैं मगर वास्तव में वह गुड़ से चिपके रहने वाले चींटे होते हैं, अपना हित साधते हैं
चंट चेले नहीं जान पाते हैं कि चतुराई से कुछ नहीं मिलता है, गुरु के समक्ष तो सदैव साष्टांग दंडवत हुआ जाता है
फिर गुरु की वह कृपा बरसती है, जिसकी वह कल्पना भी नहीं कर सकते हैं, गुरु इतना देते हैं, विश्वास नहीं होता है!
सच्चा गुरु दाता होता है, भिखारी नहीं, जो दाता है, उसको कोई क्या दे सकता है, चाहे तो अपना अहंकार दे सकता है
गुरु अहंकार की निवृत्ति का आधार है, गुरु उसका किनारा है, जो फंसा बीच मझधार है, सच्चे मन से पूजे, बेड़ा पार है
कुछ लोग यह भी कहते, गुरु गुड़ रह गए, चेला चीनी है गए अर्थात् चेले गुरु से बढ़कर हो गए जबकि ऐसा होता नहीं है
अगर गुरु सच्चा हो तो चेला लाख आगे बढ़ जाए, गुरु से बढ़कर नहीं हो सकता, गुरु का कभी असम्मान न करें
सच्चे गुरु में वह शक्ति होती है कि वे शिष्य के बारे में मन में थोड़ा सा विचार भी कर लें तो उसके साथ वही हो जाता है!
किसी ने कहा है कि पानी पीजिए छानकर और गुरु कीजिए जानकर अर्थात् गुरु देखभाल कर बनाया जाना चाहिए!
अगर कोई गुरु घंटाल मिल गया तो वह शिष्य को कुमार्ग पर भी ले जा सकता है, गुरु घंटालों से सदैव बचना चाहिए!
लेकिन जो सच्चे गुरु हैं, उनके प्रति सदैव श्रद्धावनत रहना चाहिए, उनके स्मरण मात्र से छाया अंधकार मिट जाता है!
गुरु प्रभु प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करते हैं, सदगुरुदेव भगवान कार्ष्णि गुरु श्री शरणानंद जी महाराज रहस्योद्घाटन करते हैं-
"जंगल में, वीराने में, कहीं भी, कंकड़-पत्थर लेकर उनकी सच्चे मन से पूजा करना, प्रभु फल देने वहीं आएंगे!"
ईश्वर द्वारा कुछ ख़ास लोगों को कुछ विशेष कार्यों के लिए भूमि पर भेजा जाता है- बी चंद्रकला, भूतपूर्व डीएम मथुरा
क्या जपें? जप ले हरि का नाम, रे मनवा जप ले हरि का नाम, इसके जपने से बन जाएंगे, तेरे सब बिगड़े काम!
ऐसे मत जपना कि "राम-राम जपना, पराया माल अपना!" ऐसा किया तो बिगड़े कामों का बनना होगा सिर्फ सपना!
फिर कैसे जपें? पहले अपना मन, कर्म, वचन सुधारना, तब जपना, फिर "हरि नाम" जपने का परिणाम खुद देख लेना!
शुद्ध ज्ञान से भय मिट जाता है और सभी प्रकार के भ्रम दूर हो जाते हैं, एहसास हो जाता है कि हम भगवान के अंश हैं
जो भगवान का निरंतर चिंतन करता रहता है, उसके अंदर शुद्ध ज्ञान प्रकट हो जाता है- श्री प्रेमानंद जी महाराज
आज का विचार - श्री कृष्ण नगरी में आकर भी प्रवृत्ति कंस की रही तो मानो, न जाने कितने जन्मों के पुण्य क्षय हो गए!
पैरोडी गीत- कुछ ऐसे यहां पर बंदे हैं, मुंह गोरा काले धंधे हैं, इस देश के सब गद्दारों को, बंसीवारा स्वयं सबक सिखाएगा!
जिसे बचाना होता, तिनके का सहारा देकर भी बचा देता, जिसे डुबोना होता, लाख तैराक हो, डुबोकर ही दम लेता!
जो धर्म की रक्षा करता है, धर्म उसकी रक्षा करता है, धर्म की आड़ में अधर्म करने वालों की धर्म कभी रक्षा नहीं करता है!
आज का शेर - जो कोई नहीं जानता, मैं वह इक बात जानता हूं, वह बात यह है- "मैं कुछ नहीं जानता हूं!"
सब में प्रभु- ओ भगवान को भजने वाले, क्या भगवान को जाना है, पास-पड़ोस, दुःखी-दीनों में, क्या उसको पहचाना है?
Today's Thought - Everything is in hands of God, Nothing is in our hands.
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