1 जनवरी को क्या नया हो रहा है ?

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न ऋतु बदली.. न मौसम

न कक्षा बदली... न सत्र

न फसल बदली...न खेती

न पेड़ पौधों की रंगत

न सूर्य चाँद सितारों की दिशा

ना ही नक्षत्र।।

 

1 जनवरी आने से पहले ही सब नववर्ष की बधाई देने लगते हैं। मानो कितना बड़ा पर्व है।

 

नया केवल एक दिन ही नही होता.. कुछ दिन तो नई अनुभूति होनी ही चाहिए। आखिर हमारा देश त्योहारों का देश है।

 

ईस्वी संवत का नया साल 1 जनवरी को और भारतीय नववर्ष (विक्रमी संवत) चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को मनाया जाता है। आईये देखते हैं दोनों का तुलनात्मक अंतर: 

 

 1. प्रकृति- 

 

1 जनवरी को कोई अंतर नही जैसा दिसम्बर वैसी जनवरी.. चैत्र मास में चारों तरफ फूल खिल जाते हैं, पेड़ो पर नए पत्ते आ जाते हैं। चारों तरफ हरियाली मानो प्रकृति नया साल मना रही हो।

 

2. वस्त्र- 

 

दिसम्बर और जनवरी में वही वस्त्र, कंबल, रजाई, ठिठुरते हाथ पैर.. 

चैत्र मास में सर्दी जा रही होती है, गर्मी का आगमन होने जा रहा होता है।

 

3. विद्यालयों का नया सत्र- 

 

दिसंबर-जनवरी वही कक्षा कुछ नया नहीं.. जबकि मार्च अप्रैल में स्कूलों का रिजल्ट आता है। नई कक्षा नया सत्र यानि विद्यालयों में नया साल।

 

4. नयावित्तीयवर्ष- 

 

दिसम्बर-जनवरी में कोई खातों की क्लोजिंग नहीं होती.. जबकि 31 मार्च में बैंको की (audit) कलोजिंग होती है, नए बही खाते खोले जाते हैं। सरकार का भी नया सत्र शुरू होता है।

 

5. कलैण्डर- 

 

जनवरी में नया कलैण्डर आता है.. 

चैत्र में नया पंचांग आता है। उसी से सभी भारतीय पर्व, विवाह और अन्य महूर्त देखे जाते हैं। इसके बिना हिन्दू समाज जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकता। इतना महत्वपूर्ण है ये कैलेंडर यानि पंचांग।

 

6. किसानोंकानया_साल-

               

दिसंबर-जनवरी में खेतों में वही फसल होती है.. 

                          जबकि मार्च-अप्रैल में फसल कटती है। नया अनाज घर में आता है तो किसानों का नया वर्ष और उत्साह होता है।

 

7. पर्वमनानेकी_विधि- 

 

31 दिसम्बर की रात नए साल के स्वागत के लिए लोग जमकर मदिरा पान करते हैैं, हंगामा करते हैैं, रात को पीकर गाड़ी चलने से दुर्घटना की सम्भावना, रेप जैसी वारदात, पुलिस प्रशासन बेहाल और भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों का विनाश.. 

                         जबकि भारतीय नववर्ष व्रत से शुरू होता है। पहला नवरात्र होता है घर-घर में माता रानी की पूजा होती है। शुद्ध सात्विक वातावरण बनता है।

 

8. ऐतिहासिक_महत्त्व- 

 

1 जनवरी का कोई ऐतेहासिक महत्व नहीं है.. 

जबकि चैत्र प्रतिपदा के दिन महाराज विक्रमादित्य द्वारा विक्रमी संवत् की शुरुआत, भगवान झूलेलाल का जन्म, नवरात्रे प्रारंभ, ब्रह्माजी द्वारा सृष्टि की रचना इत्यादि का संबंध इस दिन से है।

 

अंग्रेजी कलेंडर की तारीख और अंग्रेजी मानसिकता के लोगों के अलावा कुछ नहीं बदला.. 

             अपनानवसंवत्हीनयासालहै।

 

जब ब्रह्माण्ड से लेकर सूर्य चाँद की दिशा, मौसम, फसल, कक्षा, नक्षत्र, पौधों की नई पत्तिया, किसान की नई फसल, विद्यार्थी की नई कक्षा, मनुष्य में नया रक्त संचरण आदि परिवर्तन होते हैैं, जो विज्ञान आधारित है I

 

अपनी मानसिकता को बदलें। विज्ञान आधारित भारतीय काल गणना को पहचानें। स्वयं सोचें कि क्यों मनाएं हम 1 जनवरी को नया वर्ष..?

 

"मात्र कैलेंडर बदलें.. अपनी संस्कृति नहीं।"

 

आओ जागें और जगाएं अपनी भारतीय संस्कृति अपनाएं और आगे बढ़ें।

 

          ।। जय सनातन ।।

        ।। हर हर महादेव ।।

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