संस्कृत को उत्तर प्रदेश की प्रथम भाषा घोषित करने की मांग

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रामदास चतुर्वेदी। मथुरा 11 अगस्त 2025

श्रावण पूर्णिमा विश्व संस्कृत दिवस के उपलक्ष्य में संस्कृत भारती मथुरा जनपद द्वारा आयोजित संस्कृत सप्ताह के अन्तर्गत श्री दीर्घ विष्णु मन्दिर सेवा संस्थान एवं संस्कृत भारती मथुरा जनपद के संयुक्त तत्वावधान में तीर्थक्षेत्र मथुरा पुरी स्थित प्राचीन श्री दीर्घ विष्णु मन्दिर में वेद पूजन एवं विद्वत गोष्ठी का आयोजन किया गया।
इस अवसर पर सर्वप्रथम भगवान श्री दीर्घ विष्णु जी एवं मां सरस्वती जी के सम्मुख अतिथियों द्वारा वेद ध्वनि के साथ दीप प्रज्वलित किया गया।
ज्योतिषाचार्य पंडित कामेश्वर नाथ चतुर्वेदी के नेतृत्व में वैदिक विद्वानों द्वारा स्वस्तिवाचन व वैदिक और पौराणिक मंगलाचरण से गोष्ठी का शुभारंभ किया गया।
इस अवसर पर गीताव्रती श्री कैलाश अग्रवाल ने श्रीमद्भगवद्गीता के बारहवें अध्याय का सस्वर पाठ दोहराया और श्रीमद्भगवद्गीता के महत्व पर प्रकाश डाला।
संस्कृत भारती ब्रजप्रांत न्यास अध्यक्ष ओमप्रकाश बंसल ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि भारत का प्राचीन चिंतन, विचार, संस्कृति एवं जीवन संस्कृत के ही माध्यम से विकसित हुआ है।
संस्कृत भारती विभाग संयोजक श्यामसुंदर शर्मा ने कहा कि भारत की सांस्कृतिक एवं ज्ञान विज्ञान की भाषा के रुप में सामाजिक उन्नति एवं समरसता की सशक्त माध्यम है संस्कृत भाषा। वर्तमान में युवा पीढ़ी को संस्कृत भाषा के प्रति जागरूक करने की आवश्यकता है।
गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए श्री दीर्घ विष्णु मन्दिर के सेवायत महन्त श्री कान्तानाथ चतुर्वेदी ने कहा कि संस्कृत भारत की आत्मा है भारतीय संस्कृति सभ्यता और संस्कारों की मूल आधार है संस्कृत भाषा, वर्तमान में संस्कृत भाषा के संरक्षण, संवर्धन, के लिए संस्कृत भाषा को उत्तर प्रदेश में प्रथम भाषा के रूप में घोषित किया जाना चाहिए।
गोष्ठी का संचालन करते हुए संस्कृत भारती मथुरा जनपद अध्यक्ष आचार्य ब्रजेन्द्र नागर ने कहा कि अपने अन्दर असीम ज्ञान विज्ञान को समेटने वाली संस्कृत भाषा में विश्व की अनेक भाषाएं समाहित है। वर्तमान में विश्व के अनेक देशों में संस्कृत भाषा को ज्ञान व विज्ञान की भाषा के रुप में स्वीकार किया जा रहा है। गोष्ठी में योगेश उपाध्याय आवा एवं प्रचार प्रमुख रामदास चतुर्वेदी शास्त्री ने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि संस्कृत के माध्यम से भारत की सामाजिक समरसता एवं सर्वतोमुखी प्रगति ही संस्कृत भाषा का परम लक्ष्य है ।
इस अवसर पर गंगाधर अरोड़ा, हरस्वरुप यादव श्री दीर्ध विष्णु मंदिर सेवायत, बालकृष्ण चतुर्वेदी, लालकृष्ण चतुर्वेदी, संस्कृत भारती के अखिलेश गौतम, रामराज्य परिषद के देवेंद्र नाथ चतुर्वेदी, श्री माथुर चतुर्वेदी महापरिषद के शैलेन्द्र नाथ चतुर्वेदी,अनुज चतुर्वेदी, श्री मंदिर के निरंजन गोस्वामी,अमित कृष्ण आचार्य,सागर बंसल,संजय सेवादार,सोनू सेवादार,देव सेवादार आदि ने भी अपने विचार व्यक्त करते हुए संस्कृत को सर्वश्रेष्ठ भाषा बताया। वक्ताओं ने संस्कृत भाषा को जनसाधारण की भाषा बनाने के लिए संस्कृत भाषा के प्रचार प्रसार की आवश्यकता पर जोर दिया।
गोष्ठी का शुभारंभ ध्येय मंत्र से किया गया और समापन कल्याण मंत्र से किया गया। गोष्ठी के अन्त में घर घर तुलसी घर घर गीता अभियान के अन्तर्गत अतिथियों को श्रीमद्भगवद्गीता और तुलसी का पौधा भेट कर सम्मान किया गया।
रामदास चतुर्वेदी शास्त्री प्रचार प्रमुख 
संस्कृत भारती मथुरा जनपद Also Watch 

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