संस्कृति विवि में कारगिल विजय दिवस पर शहीदों को किया नमन

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किशन चतुर्वेदी। मथुरा 28 जुलाई 2025

संस्कृति विश्वविद्यालय के सेमीनार हाल मे कारगिल विजय दिवस पर युद्ध में शहीद हुए भारतीय जवानों के योगदान को याद किया गया और उनको पुष्पांजलि अर्पित की गई। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता डॉ. रजनीश त्यागी निदेशक कैप्स , संस्कृति विश्वविद्यालय ने बताया कि 26 जुलाई को हम कारगिल विजय दिवस की 23वीं वर्षगांठ मना रहे हैं। यह दिन उन वीर सैनिकों को समर्पित है जिन्होंने 1999 के कारगिल युद्ध में विजय हासिल करने में अपनी जान की बाजी लगा दी थी।
डा. रजनीश ने बताया कि कारगिल युद्ध मई-जुलाई 1999 के बीच जम्मू और कश्मीर के कारगिल जिले में नियंत्रण रेखा पर लड़ा गया था। यह युद्ध भारत और पाकिस्तान के बीच हुआ था, जिसमें भारत ने अपनी वीरता और साहस का परिचय दिया था। भारत सरकार ने इस युद्ध में ऑपरेशन विजय शुरू किया था, जिसका उद्देश्य पाकिस्तानी घुसपैठियों को वापस खदेड़ना था। भारतीय सेना ने अपनी बहादुरी और कौशल का प्रदर्शन करते हुए इस युद्ध में जीत हासिल की थी। कारगिल विजय दिवस उन शहीदों की याद में मनाया जाता है जिन्होंने देश की रक्षा के लिए अपनी जान की बाजी लगा दी थी। यह दिन हमें उनकी वीरता और बलिदान को याद करने का अवसर प्रदान करता है।
डा. रजनीश ने कहा कि राष्ट्रीय युद्ध स्मारक उन सैनिकों को समर्पित है जिन्होंने देश की रक्षा करते हुए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए। यह स्मारक हमें उन शहीदों की याद दिलाता है जिन्होंने देश के लिए अपनी जान दी है। कारगिल विजय दिवस हमें उन शहीदों की वीरता और बलिदान को याद करने का अवसर प्रदान करता है जिन्होंने देश की रक्षा के लिए अपनी जान की बाजी लगा दी थी। 
संस्कृति छात्र कल्याण विभाग के निदेशक डा. धर्मेंद्र सिंह तौमर ने बताया कि पाकिस्तान अपने सैनिकों और अर्ध-सैनिक बलों को छिपाकर नियंत्रण रेखा के पार भेजने लगा उसने इस घुसपैठ का नाम "ऑपरेशन बद्र" रखा था। इसका मुख्य उद्देश्य कश्मीर और लद्दाख के बीच की कड़ी को तोड़ना और भारतीय सेना को सियाचिन ग्लेशियर से हटाना था। पाकिस्तान यह भी मानता है कि इस क्षेत्र में किसी भी प्रकार के तनाव से कश्मीर मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मुद्दा बनाने में मदद मिलेगी। प्रारम्भ में इसे घुसपैठ मान लिया था और दावा किया गया कि इन्हें कुछ ही दिनों में बाहर कर दिया जाएगा लेकिन नियंत्रण रेखा में खोज के बाद इन घुसपैठियों के नियोजित रणनीति के बारे मे पता चला जिससे भारतीय सेना को एहसास हो गया कि हमले की योजना बहुत बड़े पैमाने पर की गयी है। इसके बाद भारत सरकार ने ऑपरेशन विजय नाम से 2,00,000 सैनिकों को कारगिल क्षेत्र मे भेजा। यह युद्ध आधिकारिक रूप से 26 जुलाई 1999 को समाप्त हुआ। इस युद्ध के दौरान 527 सैनिकों ने अपने जीवन का बलिदान दिया और 1400 के करीब घायल हुए थे। कार्यक्रम के दौरान संस्कृति विवि के शिक्षक,कर्मचारी और विद्यार्थी बड़ी संख्या में उपस्थित हुए और उन्होंने नम आखों से वीरगति को प्राप्त हुए भारतीय सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पित कीं।

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