संतों और बड़ों का अपमान करने वाले धनहीन हो जाते हैं : सुमेधानंद

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ओमवीर सारस्वत

मथुरा 22 दिसंबर 2020

ब्रज में भक्ति भाव के कारण ही भगवान श्री कृष्ण ने जन्म लिया था बृज के कण-कण में योगीराज व्याप्त है। सखा भाव में भगवान जल्दी प्रसन्न होते हैं। संतों और बड़ों का अपमान और निरादर करते हैं वो लोग धनहीन हो जाते हैं।

गोवर्धन रोड स्थित त्रिवेणी कांपलेक्स में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के दौरान स्वामी सुमेधानंद महाराज ने उक्त उदगार प्रगट किए। उन्होंने कहा भगवान ने बृजवासियों में भक्तिभाव देखा, इसी कारण उन्होंने बृज में जन्म लिया। बृज के कण-कण में भगवान योगीराज आज भी व्याप्त हैं। सखा भाव में भगवान सभी मर्यादाओं तो तोड़कर भक्त के बस में हो जाते हैं। सखा भाव में भगवान ने अपने मित्र सुदामा के लिए सभी मर्यादाओं को तोड़कर राजभवन में सुदामा के चरण धोए। उन्होंने कहा कि महाभारत के युद्ध में भगवान श्री कृष्ण ने शस्त्र नहीं धारण करने की प्रतिज्ञा ली थी परंतु जब उनके सखा अर्जुन की जान को खतरा लगा तो उन्होंने खुद चक्र धारण करके भीष्म पितामह पर वार करने की कोशिश की।

सखा भाव में भगवान अपनी मर्यादाओं को तोड़कर भक्त के वशीभूत हो जाते हैं। बृज की हर लीला में भगवान ने हम सब को सीख दी है। जिन-जिन ने संतों-ऋषियों और अपने से बड़े लोगों का निरादर किया है, वो धनहीन और बुध्दिहीन हुए हैं।

भक्तिभाव जब मन में प्रगट होता है तो भगवान भी प्रगट होते हैं। उन्होंने कहा कि मीरा की भक्ति में भाव था। इसी कारण वो विष को पीकर भी जीवित रही। बृज की गोपिकाओं में भक्ति का भाव था। इसी कारण महारास के दौरान हर गोपी के साथ भगवान श्री कृष्ण प्रगट हुए और लीला की। भक्तिभाव जहा होता है, वहां भगवान भी निश्चय ही होते हैं।

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