सर्टिफिकेट ऑफ़ प्रैक्टिस की अनिवार्यता को समाप्त किया जाए : संयुक्त अधिवक्ता परिषद

Subscribe






Share




  • States News

कालीचरण बिंदल 

टीटीआई न्यूज़ 

मथुरा 23 अक्टूबर 2020

अखिल भारतीय संयुक्त अधिवक्ता परिषद भारत की ओर से बार कौंसिल ऑफ़ इण्डिया के चेयरमैन को सम्बोधित ज्ञापन बार अध्यक्ष सुशील शर्मा एवं सचिव सुनील चतुर्वेदी को सौंपा गया, जिसके संबंध में परिषद की राष्ट्रीय अध्यक्ष महिला प्रकोष्ठ रागिनी गाँधी ने बताया कि इस ज्ञापन के जरिज ये मांग की गई है कि अधिवक्ता अधिनियम 1961 की धारा 2 (1) के तहत राज्य विधिज्ञ परिषद की नामावली में दर्ज अधिवक्ताओं को ही प्रैक्टिशनर अधिवक्ताओं की श्रेणी में रखा जाए और बेवजह उनका सर्टिफिकेट ऑफ़ प्रैक्टिस के नाम पर शोषण न किया जाए क्यूंकि वकालत की शुरूआत करने वाले अधिवक्ता कहाँ से पांच साल के वकालतनामे लाएंगे।

अतः इस सर्टिफिकेट ऑफ़ प्रैक्टिस की अनिवार्यता को समाप्त किया जाए और अधिवक्ताओं को इस व्यतिकारी नियम से मुक्ति दिलाई जाए। यदि परिषद्की इस मांग पर ध्यान नहीं दिया जाता है तो देशभर में राष्ट्रीय अध्यक्ष के नेतृत्व में आंदोलन चलाया जाएगा।

इस अवसर पर वरिष्ठ अधिवक्ता मनवीर सिंह, राष्ट्रीय संयुक्त सचिव श्रीमती संगीता शर्मा, वरिष्ठ प्रदेश महामंत्री चंद्रकांता, मंडल आगरा अध्यक्ष दीपा चतुर्वेदी, जनपद अध्यक्ष राजेश कुमारी एवं जनपद सचिव रेखा रानी एवं पुष्पा गुप्ता और सुनील शर्मा आदि मौजूद रहे।

TTI News

Your Own Network

CONTACT : +91 9412277500


अब ख़बरें पाएं
व्हाट्सएप पर

ऐप के लिए
क्लिक करें

ख़बरें पाएं
यूट्यूब पर