पति एक दरगाह पर माथा टेक कर घर लौटा...

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  • Jeevan Mantra

पति एक दरगाह पर माथा टेक कर घर लौटा, तो पत्नी ने बिना नहाए और कपड़े बदले बिना उसे घर में घुसने नहीं दिया।

बोली : जब अपने खुद के बाप को शमशान में जलाकर आये थे, तब तो खूब रगड़-रगड़ के नहाये थे। अब किसी की लाश पर मत्था टेक कर आ रहे हो, अब नहीं नहाओगे?

पति : अरी भागवान, वो तो समाधि है!

पत्नी : समाधि उसको जलाया कब ? जलावेगा तभी तो समाधि बनेगी। उसमें तो अभी लाश ही गड़ी है।

पति : अरे, वो तो फरिश्ता है..

पत्नी : तो तुम्हारे पिता जी क्या शैतान और राक्षस थे, जो उन्हें देवता बता रहे हो? हमारे अपने 33 कोटि देवी-देवता कम पड़ गये क्या तुम्हें ?

पति : अरी मुझे तो.. दोस्त अब्दुल ले गया था। अगर नहीं जाऊँगा, तो उसे बुरा नहीं लगेगा?

पत्नी : तो उस अब्दुल को.. सामने वाले हनुमानजी के मंदिर में मत्था टेकवाने ले आना, कल मंगलवार भी है।

पति : वो तो कभी न आवेगा मत्था टेकने। ला तू पानी की बाल्टी दे यार..

पत्नी : तो चलो, कान पकड़कर 100 उठक बैठक लगाओ, और सौगंध उठाओ कि आगे से किसी दरगाह या मजार पर नहीं जाओगे! हमारा घर एक मंदिर  है, यहां बांके बिहारी जी, श्री राधारानी, बालाजी, महादेवजी और माँ आदिशक्ति विराजित हैं।

याद रखना, हम खड़े (जिंदा) को पूजते हैं, लेटे (मुर्दा) को नहीं, आगे कभी अगर ऐसा किया, तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा।

सनातन संस्कृति की रक्षा करना हम सबका परम कर्तव्य है!

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