नेता बनते ही कोई ज़मीन/मकान कब्जा लेता, कोई गैस एजेंसी, पेट्रोल पंप, होटल बना लेता, जनता का क्या बनता?
किस राज़ में बदले किसके दिन? हर राज़ में बदले नेताओं के दिन, जब बदलेंगे जनता के दिन, वह दिन कब आएंगे?
आज का व्यंग्य- डकैतों के डकैत को चोर कहा था, सज़ा तो होनी थी, अब सही पकड़े हैं मगर पकड़ अभी भी ढीली है!
अब होना चाहिए ऐसा चुनाव, किसी के साथ न हो भेदभाव, जनता जिसे चाहे जिताना, वो जीते, नहीं तो काहे का चुनाव
सिर्फ खुलासा नहीं काफ़ी, नेता दल अपने-अपने दलों से अपराधियों का करें सफाया, फिर चुनाव मैदान में आएं!
बंसी वारे को बंसीवारा सुना रहा गाना- "ओ तेरे प्यार पे क़ुर्बान, मेरा दिल मेरी जान, तुझे लग जाए मेरी उमर!"
बंसी वारे ने बढ़ाया- मुझको ग़लत न समझना, मैं नहीं बादल आवारा, दिल की दीवारों पे मैंने, नाम लिखा है तुम्हारा!
आज का ताज़ा विचार- मनुष्य जीवन पाप/पुण्यों की रिक्त पुस्तिका, चाहो जितने भर लो, मूल्यांकन कर्ता बंसीवारा!
ऐसे कैसे गिर सकता है मजबूत हॉल का लेंटर? प्लेन क्रैश हो सकता है तो लेंटर क्यों नहीं गिर सकता है? -बंसीवारा
बंसी वारे को बता रहा था बंसीवारा- देश के चारों स्तंभों के जितने भी भ्रष्ट हैं, एक हॉल में बैठे हैं, लेंटर गिरने का ख़तरा
किसी के राजा रहते ऐसे खुलासे शायद ही किसी के हुए हों, "अभी तो सिर्फ इक झांकी है, पूरी पिक्चर अभी बाकी है!"
भजन- जीते लकड़ी, मरते लकड़ी, देख तमाशा लकड़ी का, दुनिया वालों, आओ तुम्हें दिखाएं, यह जग सारा लकड़ी का!
चढ़ गई, जितनी जितनी चढ़नी थी काठ की हढ़िया, जलने लगीं देखो अब लकड़ियां, बाज़ीगर की बाज़ीगरी ने जिताया
स्वतंत्र/निष्पक्ष और निडर पत्रकारों की राय- दुनिया की कोई ताकत मोदी की प्राइम मिनिस्टरशिप नहीं बचा सकती
लीलाधर की ऐसी लीला, लुटेरों से करवा डाले ऐसे कृत्य कि परिणाम सोच उनका पजामा हो रहा ढीला, ढीला या गीला?
वोटों की लूट का खुलासा केजरीवाल ने भी किया था, अब राहुल ने किया है मगर सबसे पहले टीटीआई ने किया था!
टीटीआई न्यूज़ ने लोगों के यह व्यूज किए थे उजागर- "हम वोट तो इन्हें देते नहीं, फिर यह जीतकर कैसे आ जाते हैं?"
टीटीआई ने यह बात भी उठाई थी कि भारत की निर्वाचन प्रणाली बेहद त्रुटि पूर्ण, एक घोड़े पर सवार, शेष सब पैदल?
अन्य अनेक खामियां की थीं उजागर, कहा था- "विपक्ष को चुनाव ही नहीं होने देना चाहिए, बहिष्कार करना चाहिए!"
लेकिन उस वक्त विपक्ष को यह बात समझ में नहीं आई, हो सकता है तैयारी करने में देर लग गई हो, अब युद्ध होगा?
याचना नहीं अब रण होगा, संग्राम महा भीषण होगा, अभी ठोके-बजाए जा रहे हैं उपकरण सारे, बड़ा वीभत्स होगा
वह दृश्य, जो मंच पर होगा, बार एसोसिएशन मथुरा के पूर्व सचिव और जाने-माने कवि केसी गौड़ की काव्य पंक्तियां
वोटों की लूट के खुलासे को लेकर देश के युवा वर्ग में भारी भिज्ञता, मुंह खोलने से रहे बच, गहराई से कर रहे अध्ययन
कॉन्ग्रेस नेता राहुल गांधी के खुलासे के बाद चुनाव आयोग बर्खास्त कर नया पारदर्शी बनाया जाए- आनंद वर्धन सिंह
आज का भजन- अंदर तेरे अंतर्यामी भेद तुझे समझाता है, भला-बुरा क्या करना तुझको, राह तुझे दिखलाता है?
अंदर की आवाज़ तो सभी के अंदर से आती है मगर उसे पकड़ पाना, उसके अनुसार चल पाना कठिन है- प्रेमानंद
बृज दर्शनार्थ आने वाले देश-दुनिया के श्रद्धालुओं से अपील- अपने कीमती सामान का ख्याल रखें, भीड़ में घुसने से बचें
आम जनता को यह समझाना है, श्रद्धालुओं को लूटते चंद लुटेरे, लुटवाते सफ़ेदपोश, बदनाम होते सारे बृजवासी!
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