ग्रामीण क्षेत्रों में बदहाल स्वास्थ्य सेवाएं

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शाहजहांपुर ब्रेकिंग

दिव्यांजली पाण्डेय

यूपी सरकार स्वास्थ्य सेवाएं दुरुस्त होने का दावा तो कर रही है। लेकिन सरकार के ही मातहत ग्रामीण क्षेत्रों में सरकार की किरकिरी करवाने में लगे हुए हैं। जनपद का एक ऐसा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र जहां रहने के लिए बिल्डिंग तो हैं लेकिन स्टाफ नहीं।कोरोना महामारी में भी पिछले 1 माह में सिर्फ एक ही दो बार खुला है प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र। लेकिन जिला प्रशासन के साथ स्वास्थ्य विभाग के बड़े साहब सब कुछ ठीक होने का दावा कर रहे हैं।

एक तरफ यूपी सरकार करोड़ों खर्च कर ग्रामीण क्षेत्रों में बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं देने के लिए लगातार नई नई बिल्डिंग बनाकर वहां स्वास्थ्य कर्मियों की तैनाती कर आम आदमी को स्वस्थ रखने की दिशा में काम कर रही है। तो वही जनपद शाहजहांपुर के ब्लाक सिधौली के अंतर्गत गांव कलुआपुर के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का नजारा ही कुछ और है। यहां प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में ताला लटकता रहता है, ग्रामीणों की अगर मानें तो पिछले 1 से डेढ़ माह के दौरान एक या दो बार ही डॉक्टर साहब ने आकर पूरे महीने की हाजिरी लगाई है। लगभग 2 दर्जन से भी अधिक ग्रामवासी इसी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर आश्रित हैं। इस कोरोना महामारी में भी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर तैनात स्टाफ पहुंचता तो है लेकिन केवल दस्तखत करने,कलुआपुर के ग्रामीणों का कहना है कि यहां ना तो किसी ग्रामीण की जांच की गई जबकि गांव के साथ-साथ आसपास के क्षेत्र में भयंकर बुखार से लोग पीड़ित हैं ग्रामीण क्षेत्र के लोग झोलाछाप डॉक्टरों के यहां इलाज कराने को विवश हैं। क्योंकि डॉक्टर साहब महीने में एक दो बार ही दिखाई देते हैं वह भी लाल पीली गोलियां देकर चलते बनते हैं अगर कोई इंजेक्शन लगवाने की बात कहे तो उसे ₹200 देने पड़ते हैं यह कहना है कलुआपुर के ग्रामीणों का।

अगर तस्वीरों पर गौर करेंगे तो आपको प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की बदहाली साफ नजर आएगी यह बिल्डिंग तो है लेकिन उसमें गेट नहीं टॉयलेट तो है लेकिन उसमें सीट नहीं इसी तरह प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में कहीं भी पीने के पानी की व्यवस्था तक नहीं है। हालांकि केंद्र प्रांगण में ओवरहेड टैंक रखने के लिए व्यवस्था तो की गई है लेकिन टैंक नीचे पड़ा है जबकि पूरे प्रांगण में जंगल की तरह घास उगी हुई नजर आती है। टॉयलेट के ओवरहेड टैंक जिनमें ढक्कन तक नहीं है, और हों भी कैसे जब सरकार द्वारा करोड़ों रुपए खर्च कर बनवाई गई इन बिल्डिंगों में रहना तो दूर कोई देखरेख करने वाला तक नहीं प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की बाउंड्री वाल की ईंटे तक गायब हो गईं। अब सवाल यह उठता है कि जब इन बिल्डिंगों में कोई रहना ही नहीं चाहता तो फिर सरकारी धन का दुरुपयोग क्यों और स्वास्थ्य विभाग ग्रामीण क्षेत्रों में इन बिल्डिंगों पर करोड़ों रुपए क्यों खर्च कर रहा है।

वहीं मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ एसपी गौतम का कहना है कि संबंधित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र एवं वहां ड्यूटी पर तैनात स्टाफ के संबंध में जांच करवा कर आवश्यक कार्यवाही की जाएगी।

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