किस दिन तेल वर्जित, कौन सा पदार्थ किस पात्र में बन जाता है अभक्ष्य?

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  • Jeevan Mantra

कुहूपूर्णन्दुसंक्रान्ति

        चतूर्दश्यष्टमीषु च

रवौ श्राद्धे व्रताहे च 

          दुष्टं स्त्री तिलतैलकम्

ब्रह्मवैवर्तपुराण  ब्रह्म० २७/३७/३८

 

अमावस्या पूर्णिमा संक्रांति चतुर्दशी और अष्टमी तिथि रविवार श्राद्ध और व्रत के दिन तिल का तेल निषिद्ध है।

 

आर्द्रकं रक्तशाकं च

             रवौ च परिवर्जयेत

ब्रह्मवैवर्तपुराण श्रीकृष्ण ० ७५/६०

 

रविवार के दिन अदरख और लाल रंग का शाक नहीं खाना चाहिये

 

अय: पात्रे पय: पानं

           गव्यं सिद्धान्नमेव च

भ्रष्टादिकं मधु गुड़ं

           नारिकेलोदकं तथा

फलं मूलं च यत्किन्चिद

             भक्ष्यं मनुरब्रवीत्

ब्रह्यवैवर्तपुराण  श्रीकृष्ण ० ८५/४/५

 

लोहे के बर्तन में जल पान, उसमें रखा हुआ गाय का दूध, दही, घी, उसमें पकाया हुआ अन्न ( चावल ) भुना हुआ पदार्थ, मधु, गुड़, नारियल का जल, फल, मूल आदि सभी पदार्थ अभक्ष्य हो जाते हैं।

 

पं बनवारी चतुर्वेदी

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