विवाहोत्सव के दूसरे दिन गोदम्माजी की सवारी चांदी की पालकी में निकली

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विकास अग्रवाल

टीटीआई न्यूज़

वृन्दावन (10-01-2021)

 

दिव्यदेश रँगनाथ मन्दिर में चल रहे माँ गोदम्मा जी के विवाहोत्सव के दूसरे दिन उनकी सवारी पूरे विधिविधान से चाँदी की पालकी में विराजमान हो कर निज मन्दिर से निकली। सुगन्धित पुष्पों से बनी माला और आभूषण धारण किये श्रीगोदा जी का श्रंगार मनमोहक था। उनके दिव्य दर्शन कर श्रद्धालु अभिभूत हो गए। ज्ञात हो कि श्रीगोदा जी का विवाह उत्सव बहुत ही भव्यता से 5 दिनों तक मनाया जाता है। पाँचवे दिन उनका विवाह श्रीकृष्ण रूपी भगवान रंगनाथ के साथ होता है। श्रीकृष्ण को प्राप्त करने हेतु श्रीगोदा जी एक महीने का धनुर्मास व्रत रखती हैं। जिसमें वह अपनी सभी सखियों के साथ प्रण करती हैं कि वे सभी सुबह सुबह स्नान करेंगी, दूध दही, घी का वर्जन करेंगी, वेणी मैं पुष्प नहीं गूथेंगी, काजल नहीं लगाएँगी, दुर्वचन नहीं कहेंगी, अकृत्य नहीं करेंगी। एक माह के अंतिम पाँच दिन प्रतिदिन वह श्रीवटपत्रशायी भगवान से प्रार्थना करती हैं कि हे मेघश्याम भगवान इस व्रत के फलस्वरूप जो विवाह की कामना मैंने की है उसे पूर्ण करें और उसके लिए मुझे अपना पाँचजन्य शंख , आपकी स्तुति के लिए मंगल वाद्य, वेदपाठी ब्राह्मण , मंगल दीपक और मंडप में बांधने वाला वितान प्रदान करें। भगवान श्रीकृष्ण उनकी  सारी इच्छाएँ पूर्ण करते हैं और विवाह के मंगल सूचक पाँचजन्य शंख , हल्दी, चंदन, पान- सुपारी , माला, आभूषण इत्यादि भेंट करते हैं। सब मंगल सूचक संसाधनों को लेकर अम्मा जी भगवान की स्तुति करती हुई परिक्रमा करती हैं और मंडप में उन पर हल्दी चढ़ाई जाती है , सुवासित केश तेल , चंदन , फूल इत्यादि के साथ विभिन्न तरह के केश विन्यास सजाए जाते हैं और उनका अभिषेक होता है। पाँचवें दिन उनका विवाह बहुत धूमधाम के साथ माला बदली और वेदिक मंत्रों के साथ अग्नि को साक्षी बनाकर सात फेरे लेकर श्रीकृष्ण स्वरूप श्रीरंगमन्नार के साथ होता है. इस वर्ष विवाह 13 जनवरी को शाम 4 बजे से प्रारम्भ होगा।

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