बालिकाएं/महिलाएं अभिशाप नहीं अभिमान हैं - सुश्री सोनिका वर्मा

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जिला विधिक सेवा प्राधिकरण जनपद न्यायालय मथुरा 

बालिकाएं/महिलाएं अभिशाप नहीं अभिमान हैं - सुश्री सोनिका वर्मा

मथुरा 13 जुलाई 2021

उत्तर प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण लखनऊ द्वारा प्रेषित माह जुलाई 2021 के प्लान ऑफ एक्शन में दिए गए दिशा निर्देशों के अनुपालन में माननीय जनपद न्यायाधीश मथुरा श्री यशवंत कुमार मिश्र के मार्गदर्शन में आज दिनांक 13 जुलाई 2021 को एक विधिक साक्षरता शिविर का आयोजन तहसील विधिक सेवा समिति महावन के सभागार में किया गया, जिसकी अध्यक्षता सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण मथुरा सुश्री सोनिका वर्मा द्वारा की गई. इस अवसर पर महावन तहसीलदार श्री सुभाष चंद्र यादव, खंड विकास अधिकारी बलदेव श्री ऋषि कुमार सिंह, श्रीमती अंजू शर्मा एडवोकेट, लेखपाल श्री शैलजा जैन, महावन बांगर प्रधान श्री ब्रजकिशोर, गोकुल सभासद श्री प्रार्थना तिवारी आदि सहित जनसमूह उपस्थित रहा. इस विधिक साक्षरता शिविर का आयोजन कोविड-19 हेतु पारित दिशा निर्देशों का पूर्णतः अनुपालन करते हुए मास्क व सैनिटाइजर का प्रयोग व सोशल डिस्टेंस का पालन करते हुए किया गया। इस विधिक साक्षरता शिविर का मुख्य विषय "बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ" रहा.

महावन तहसीलदार श्री सुभाष चंद्र यादव द्वारा इस विधिक साक्षरता शिविर का संचालन करते हुए इसके महत्व पर प्रकाश डाला गया तथा तहसील स्तर से संचालित विभिन्न योजनाओं पर जानकारी दी गई.

खंड विकास अधिकारी श्री ऋषि कुमार सिंह द्वारा महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए चल रही योजनाओं के संबंध में बताते हुए राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन, पेंशन, मनरेगा, स्वयं सहायता समूह योजना, समूह सखी योजना आदि पर प्रकाश डाला गया.

महावन बांगर के प्रधान श्री बृजकिशोर द्वारा कहा गया कि उनके क्षेत्र की महिलाओं के संबंध में चल रही योजनाओं का लाभ दिलाए जाने का पूर्ण प्रयास किया जाएगा तथा महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए ग्राम में जागरूकता अभियान चलाने का कार्यक्रम किया जाएगा.

वक्तागणों द्वारा सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं का शत प्रतिशत लाभ महिलाओं को मिले, महिलाओं की भागीदारी प्रत्येक क्षेत्र में बराबर रहे, महिलाओं को घर परिवार की ओर से सर्वप्रथम भरपूर सहयोग मिले, बालिकाओं व महिलाओं की पढ़ाई लिखाई, महिलाओं को प्रत्येक क्षेत्र में अपनी भागीदारी निभाने के लिए उसके परिवार व पुरुषों को उनका सहयोग करना चाहिए आदि पर जोर दिया गया.

विधिक साक्षरता शिविर की अध्यक्षता करते हुए जिला विधिक सेवा प्राधिकरण मथुरा की सचिव सुश्री सोनिका वर्मा द्वारा बेटी बचाओ - बेटी पढ़ाओ योजना पर जानकारी देते हुए बताया कि सरकार द्वारा देश की बेटियों का भविष्य उज्ज्वल बनाने के लिए समय-समय पर कई योजनाएं आरंभ की जाती हैं इसी क्रम में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना का आरंभ 22 जनवरी 2015 को किया गया. इस योजना के अंतर्गत बेटी के माता पिता को बेटी का बैंक अकाउंट किसी राष्ट्रीय बैंक या फिर नजदीकी पोस्ट ऑफिस में खुलवाना होगा। बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना को हमारे देश की बेटियों के जीवन स्तर को बेहतर बनाने के लिए और उनका भविष्य उज्ज्वल बनाने के लिए आरंभ किया गया है. सुश्री सोनिका वर्मा द्वारा बताया गया कि बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना के अंतर्गत 10 वर्ष तक की बालिकाओं के लिए सुकन्या समृद्धि योजना भी सरकार उपलब्ध करा रही है.

कन्या भ्रूण हत्या रोके जाने के संबंध में सुश्री सोनिका वर्मा द्वारा बताया गया कि सबसे पहले तो हमारे समाज की सोच को बदलना होगा क्योंकि आप खुद ही सोचिए कि अगर एक लड़की नहीं होगी तो बहन, पत्नी, मां और भी कई तरह के रिश्ते किस प्रकार से निभाएंगे. समाज की मान्यता है कि वंश चलाने के लिए लड़का जरूरी है, मगर घर परिवार में लड़की की भी उतनी ही महत्वता होती है जितनी कि एक लड़के की. एक लड़की भी अपने परिवार का भरण पोषण कर सकती है। इसी के साथ हमारे रूढ़िवादी और पिछड़े समाज को भी लड़का और लड़की में अंतर नहीं करना चाहिए। सरकार लड़का और लड़की में कोई अंतर नहीं करती और उन्हें बराबरी का दर्जा मिल रहा है तो फिर आप और हम मिलकर उस कन्या की भ्रूण हत्या क्यों करते हैं, जिसने अभी इस दुनिया में कदम ही नहीं रखा. जन्म के समय हमें उस कन्या का लक्ष्मी की तरह स्वागत करना चाहिए. बालिकाएं/महिलाएं हर क्षेत्र में पुरुषों के बराबर योगदान दे रही हैं. 

पूर्व गर्भाधान और प्रसव पूर्व निदान तकनीक (PCPNDT Act.) के संबंध में सुश्री सोनिका वर्मा द्वारा बताया गया कि भारत में कन्या भ्रूण हत्या और गिरते लिंगानुपात को रोकने के लिए भारत की संसद द्वारा पारित एक संघीय कानून है. इस अधिनियम से प्रसव पूर्व लिंग निर्धारण पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। इस एक्ट के तहत जन्म से पूर्व शिशु के लिए की जाने वाली जांच पर पाबंदी है। ऐसे में अल्ट्रासाउंड या अल्ट्रासोनोग्राफी कराने वाले जोड़े या करने वाले डॉक्टर, लैब कर्मी को 3 से 5 साल और 10 से 50 हजार जुर्माने की सजा का प्रावधान है.

घरेलू हिंसा कानून के संबंध में सुश्री सोनिका वर्मा द्वारा बताया गया कि किसी महिला के साथ घर की चारदीवारी के अंदर होने वाली किसी भी तरह की हिंसा मारपीट उत्पीड़न आदि के मामले इसी कानून के तहत आते हैं. घरेलू हिंसा अधिनियम का निर्माण 2005 में किया गया और 26 अक्टूबर 2006 से इसे देश में लागू किया गया. इसका मकसद घरेलू रिश्तो में हिंसा झेल रही महिलाओं को तत्काल और आपातकालीन राहत पहुंचाना है। यह कानून महिलाओं को घरेलू हिंसा से बचाता है। यह भारत में पहला ऐसा कानून है जो महिलाओं को अपने घर में रहने का अधिकार देता है  घरेलू हिंसा विरोधी कानून के तहत पीड़िता मारपीट, यौन शोषण, आर्थिक शोषण या फिर अपमानजनक भाषा के इस्तेमाल की परिस्थिति में कार्रवाई कर सकती है. घरेलू हिंसा से पीड़ित कोई भी महिला अदालत में जज के समक्ष स्वयं या वकील या सेवा प्रदान करने वाली संस्था या संरक्षण अधिकारी की मदद से अपनी सुरक्षा के लिए बचावकारी आदेश ले सकती है.

सुश्री सोनिका वर्मा द्वारा लोक अदालत, मध्यस्थता केंद्र, ए.डी.आर. सेंटर, मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना, पीड़ित क्षतिपूर्ति योजना आदि विषयों पर भी प्रकाश डाला गया.

विधिक साक्षरता शिविर के अंत में तहसीलदार महावन श्री सुभाष चंद्र यादव द्वारा उपस्थित सभी अतिथियों व जनसमूह का धन्यवाद ज्ञापन किया गया.

यह भी देखें - टीटीआई न्यूज़ की तीसरी वर्षगांठ पर एसपी सिटी मथुरा मार्तंड प्रकाश सिंह की शुभकामनाएं

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