जो जैसा कर्म करता है, उसे वैसा ही फल प्राप्त होता है... प्रस्तुति -पं. हेमन्त त्रिगुणायत

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  • Jeevan Mantra

तत्कर्म यन्न बन्धाय

      सा विद्या या विमुक्तये

आयासायापरं कर्म

         विद्यान्या शिल्पनैपुणम

विष्णु पुराण

 

कर्म वहीं है जो बन्धन का कारण न हो विद्या भी वही है जो मुक्ति की साधिका हो इसके अतिरिक्त और कर्म तो परिश्रम रुप तथा अन्य विद्याएं कला कौशल मात्र है

 

यादृशं कुरुते कर्म

       तादृशं फलमाप्नुयात्

अवश्य मेव भोक्तव्यं

        कृतं कर्म शुभाशुभम्

श्रीदेवी भागवत

 

जो जैसा कर्म करता है उसे वैसा ही फल प्राप्त होता है किये गये शुभ अशुभ कर्म का फल अवश्य ही भोगना पड़ता है

 

पं. हेमन्त त्रिगुणायत 

अखिल भारतीय तीर्थ पुरोहित महासभा राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य 

हस्त रेखा का विधार्थी

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