मथुरा - सदर तहसील से राजस्व निरीक्षक तरकर 10 हजार की रिश्वत लेते रंगेहाथ गिरफ्तार, एंटी करप्शन की कार्यवाही
बांके बिहारी न्यास बोर्ड और कॉरिडोर के विरोध को लेकर वृंदावन आए कमिश्नर व डीआईजी, सेवायातों से की वार्ता
बांके बिहारी न्यास बोर्ड और कॉरिडोर के बनने से किसी के साथ अन्याय नहीं होगा- शैलेंद्र कुमार सिंह, कमिश्नर आगरा
पूर्ण सत्य- तंत्र-मंत्र-यंत्र तभी कारगर होते हैं, जब मन साफ़ हो, अंदर मलीनता भरी हो तो नतीजे उल्टे ही सामने आते हैं!
सदैव प्रासंगिक पंक्तियां- कर्म तेरे अगर अच्छे हैं तो क़िस्मत तेरी दासी है, नीयत तेरी अच्छी है, तो घर ही मथुरा-काशी है!
कर न सको अगर पुण्य कोई तो कम से कम मत पाप करो,
दिल को चोट पहुँच जाए, मत ऐसा क्रिया कलाप करो! (मानो)
ईर्ष्या-द्वेष नहीं करता जो, वो गृहस्थ संन्यासी है,
नीयत तेरी अच्छी है, तो घर ही मथुरा-काशी है! (पूर्ण सत्य)
झूठ कभी मत कहो किसी से, हर दम सच की राह चलो,
बेईमानी से दूर रहो तुम, होकर बेपरवाह चलो! (अनुसरणीय)
ईश्वर अपनी संतानों से सत्गुणों का अभिलाषी है,
नीयत तेरी अच्छी है, तो घर ही मथुरा-काशी है! (पूर्ण सत्य)
लूट-खसोट करो मत हरगिज़, क्या तुम ले जाओगे?
गला काटकर इंसानों का आख़िर तुम क्या पाओगे? (संदेश)
आज का भजन- ईश्वर-अल्लाह तेरे नाम, सबको सन्मति दे भगवान, कोई नीच न कोई महान, सारा जग तेरी संतान!
पैरोडी गीत- लूट/लुटवाकर 4 पैसे क्या जोड़ लिए, खुद को समझ बैठे ख़ुदा, ख़ुदा ही जाने, लुटेरों का होगा अंज़ाम क्या?
आज का संदेशात्मक शेर - जिस दिन फैलें यह हाथ किसी अहले करम के आगे, उससे पहले ऊपर वाला हमें उठा ले!
खून-पसीने की मिलेगी तो खाएंगे, नहीं तो यारों हम भूखे ही सो जाएंगे, दौलत हराम की, अपने किस काम की, हाथ ना लगाएंगे!
आज का बब्बर शेर - मेरे बच्चों यह भूल, भूल कर भी मत करना, भीख की सूरत मिले ज़िंदगी, क़बूल मत करना!
देश-दुनिया को जगाने वालों जागो, अपनी अहमियत को जानो, रोटी और बोटी के लिए ज़मीर गिरवी मत रखना!
न्यायपालिका, कार्यपालिका, पत्रकारिता और विधायिका लोकतंत्र के समानांतर आधारभूत स्तंभ, दबंगई पर विधायिका!
आज की पंक्तियां, अभी क्या देखा है और बहुत बड़ा देखोगे, अभी लेटा बंसीवारा, निकल जाएगी हवा- जब खड़ा देखोगे!
पत्रकारिता बेहद जिम्मेदारी पूर्ण पेशा, जनहित की बेईमानी पत्रकार का धर्म और सरकारी भोंपू कभी पत्रकार नहीं होते!
सच्चे पत्रकारों का लिखा एक-एक शब्द बड़ा अहम होता है, वह न दबते हैं, न झुकते हैं और न रुकते हैं, इंकलाब होते हैं!
आज का विचार - सच्चे पत्रकारों का प्रत्येक दिन पत्रकारिता दिवस होता है, सृष्टि और प्रलय उनकी भी गोद में पलते हैं!
रुकने का नाम नहीं ले रही सत्ता के नशे की चर्चा, पूछ रहे युवा- "अंकल आपने यह ख़बर नहीं लगाई?" बंसी वारे ने कहा-
गंदगी का सृजन करना पत्रकारिता का उद्देश्य नहीं, जितनी थी जरूरी, उतनी सूचना समय रहते जन-जन तक पहुंचाई!
अगर सरकार के हाथ में सब कुछ होता तो सत्ता का नशा काफूर ना होता, मनोहर लाल धाकड़ इतना मशहूर ना होता!
संदेशात्मक गीत- सबसे बड़ा नादान वही है, जो समझे नादान मुझे, कौन-कौन कितने पानी में, सबकी है पहचान मुझे!
मेरे भक्तों को जो लूटते/लुटवाते हैं, मैं उनके वंशों के जन्म-जन्मांतर बर्बाद कर देता हूं, हृदय कमल में बोला बंसीवारा!
सच्ची कहानी- गोदी मीडिया का बुरा असर, बड़ी संख्या में लोगों ने अब अखबार और टीवी खोलने ही कर दिए बंद!
मथुरा में रहकर किए होंगे जरूर कुछ अच्छे कार्य, जो पूर्व डीएम बने आगरा कमिश्नर और पूर्व एसएसपी डीआईजी
न जाने कितने जन्मों के पुण्य उदय होते हैं, तब जाकर बृज वास मिलता है, जो चलते नेक राह, नसीब उनका खुलता है!
सच बोलने का हुनर रखते हैं हम, दुनियादारी की कला नहीं रखते, आवाज़ तीखी है, तल्ख़ है, हम दो सुरों वाला गला नहीं रखते!
You Are Watching An Exclusive, Informative, Devotional & Entertainment Network TTI News Your Own Network