उत्तर प्रदेश मथुरा : रामचरितमानस के पाठ के द्वारा श्री राम वन गमन लीला का आयोजन

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मनीष अग्रवाल

टीटीआई न्यूज़

कोसी (मथुरा) 22 अक्टूबर 2020

श्री रामलीला संस्थान कोसीकलां के तत्वाधान में रामचरितमानस के पाठ के द्वारा श्री राम वन गमन लीला का आयोजन किया गया जो भी भक्त इस गमन लीला को सुन रहा था  और भगवान के प्रति जो आस्था थी वह कहीं ना कहीं उनके चेहरे पर झलक रही थी कुछ राम भक्तों के आंखों से से आंसुओं की धार निकल रही थी।

कोसीकलां श्री रामलीला संस्थान कोसीकला के तत्वाधान में कोविड-19 को देखते हुए यह फैसला लिया गया के राम भरत महोत्सव को छोटे रूप में करें जिससे हम भारत सरकार की गाइडलाइंस के साथ चल सके आज भगवान श्री राम की वन गमन लीला राम चरित्र मानस के पाठ के साथ हुई जैसे-जैसे वन गमन लीला का पाठ शुरू हुआ और राम भक्त अपने कदम नहीं रोक पाए और पहुंच गए।

श्री राम भवन पर भगवान राम की  वन गमन लीला में शामिल होने के लिए उस वक्त ऐसा लग रहा था वाकई हम भगवान राम के वन गमन लीला में शामिल है विद्वानों ने यह कहा है जो भी राम भक्त है अगर वह कोई भी लीला भगवान राम की ना सुने बस उनकी वन गमन लीला में सम्मिलित हो तो उसके सारे पाप तर जाते हैं और उस भक्त का भगवान राम उद्धार करते हैं।

जब भगवान श्री राम को वनवास मिला तो अवधपुरी की सारी प्रजा उनके साथ चलने को तैयार थी भगवान ने बनवास वाले दिनों में सभी राक्षसों का वध कर इस धरती को राक्षसों से मुक्ति दिलाई जब रामलीला आचार्य के द्वारा राम चरित्र मानस द्वारा वन गमन लीला का वर्णन किया गया तो वहां पर बैठे भक्तों के आंखों से आंसू छलक ने लगे इन भक्तों में कुछ नन्हे मुन्ने बच्चे भी थे जो रामचरित्र को बड़े ढंग से सुन रहे थे वही छाता क्षेत्र अधिकारी जगदीश कालीरमन भी वन गमन लीला  मैं सम्मिलित होने पहुंचे जब आचार्य द्वारा भजन की प्रस्तुति की गई।

राम भक्त ले चला रे राम की निशानी मेरी लेजा निशानी रे भरत भैया मेरी लेजा निशानी रे भरत भैया रामलीला संस्थान के संयोजक कमल किशोर वार्ष्णेय और छाता क्षेत्र अधिकारी जगदीश कालीरमन ने अपने सर पर भगवान राम की खड़ाऊ रखकर  लीला का आनंद लिया और अपने आप को भाग्यशाली समझा वन गमन लीला के उपरांत भगवान श्री राम सीता की आरती की गई और उसके साथ छाता क्षेत्र अधिकारी जगदीश कालीरमन का दुपट्टा पहनाकर रामलीला संस्थान के पदाधिकारियों द्वारा सम्मान किया गया।

इस संदर्भ में जानकारी देते हुए श्री राम लीला संस्थान के संयोजक कमल किशोर वार्ष्णेय ने जानकारी दी  कोविड-19 को देखते हुए सभी आयोजनों को सूक्ष्म रूप में करने का हमने फैसला लिया है हम भारत सरकार की गाइडलाइन से सहमत हैं जान है तो जहान है।

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