पिता और पुत्री का नाता, समुद्र सा गहरा होता है...

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  • Jeevan Mantra

    बेटी की विदाई के वक्त ...

     पिता सबसे आखिरी में रोता है, 

    बाकी सब भावुकता में रोते हैं , 

       पर पिता ... उस बेटी के 

     बचपन से विदाई तक के पल

         याद कर कर के रोता है.

        माँ बेटी के रिश्तों पर तो 

          बात होती ही है, पर 

      बाप और बेटी का रिश्ता भी 

            समुद्र से गहरा है.

   हर पिता घर के बेटे को 

  धमकाता है , मारता है , पर वही पिता 

     अपनी बेटी की हर गलती 

          नकली दादा गिरी से 

        नजर अंदाज कर देता है.

        बेटे ने कुछ माँगा तो ...

           एक बार डाँट देता है,

   पर बेटी ने धीरे से भी कुछ माँगा हो ...

      बेटी की इच्छा पूरी कर देता है.

  दुनिया उस पिता का सब कुछ लूट ले,

     तो भी वो हार नहीं मानता, पर

 अपनी बेटी की आँख के आँसू देखकर

        खुद अंदर से बिखर जाए ....

             उसे बाप कहते हैं.

     और बेटी भी जब घर में रहती है, 

             तो उसे हर बात में 

          पिता का घमंड होता है.

           किसी ने कुछ कहा कि 

             तपाक से बोलती है 

    पापा को आने दे फिर बताती हूँ.

 बेटी घर में रहती तो माँ के आँचल में है 

पर बेटी की हिम्मत उसका बाप होता है, 

  बेटी की जब शादी में विदाई होती है 

 तब वो सबसे मिलकर रोती तो है , पर 

      जैसे ही बिदाई के वक्त 

         पिता को देखती है

  जाकर झूम जाती है ~ लिपट जाती है,

    ऐसा कसके पकड़ती है पिताजी को 

         जैसे ... माँ अपने बेटे को, 

      क्योंकि उस बच्ची को पता है ~

     ये बाप ही है जिसके दम पर मैंने

            हर जिद पूरी की थी.

  खैर ... पिता खुद रोता भी है और 

         बेटी की पीठ ठोक कर 

      फिर हिम्मत देता है, कि बेटा !

      चार दिन बाद आ जाऊँगा लेने 

और खुद जान बूझकर निकल जाता है 

किसी कोने में ओर उस कोने में जाकर 

       कितना फूट-फूट रोता है ....

         ये कोई नहीं समझ पाता.

       जब तक पिता जीवित रहता है ...

    बेटी मायके में हक़ से आती है, और

       घर में भी जिद कर लेती है.

         और कोई कुछ कहे तो 

         डट के बोल देती है कि 

         ★ मेरे बाप का घर है ★

        पर जैसे ही पिता इस धरती से 

  अंतर्धयान होते है, और बेटी आती है 

   वो इतनी चित्कार के रोती है, कि 

   सारे रिश्तेदार समझ जाते हैं,कि 

              ◆  बेटी आ गई है ◆

 वो बेटी उस दिन हिम्मत हार जाती है,

 क्योंकि ... उस दिन उसका बाप नहीं,

                   हिम्मत मर जाती है.

        पिता के ना रहने के बाद 

     बेटी कभी अपने भाई के घर

          जिद नहीं करती...

            जो मिला खा लिया 

               जो दिया पहन लिया...

   क्योंकि...उसका बाप था तब तक 

   सब कुछ उसका था, वो जानती है, 

        और सत्यता भी यही है.

           पिता के लिए बेटी ...

         उसकी जिंदगी होती है,

        पर वो कभी बोलता नहीं.

     और बेटी के लिए उसका पिता 

   दुनिया की सबसे बड़ी हिम्मत और   घमंड होता है पर बेटी भी कभी बोलती नहीं

 

         ????पिता पुत्री का प्रेम????

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