चांद भी क्या खूब है . .

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  • Vishesh

चांद भी क्या खूब है,

न सर पर घूंघट है,

न चेहरे पे बुरका,

 

कभी करवा चौथ का हो गया,

तो कभी ईद का,

तो कभी ग्रहण का

 

अगर

 

ज़मीन पर होता तो

टूटकर विवादों मे होता,

अदालत की सुनवाईयों में होता,

अखबार की सुर्ख़ियों में होता।

 

लेकिन

 

शुक्र है आसमान में बादलों की गोद में है,

इसीलिए ज़मीन में कविताओं और ग़ज़लों में महफूज़ है।

 

करवा चौथ की सभी को बहुत-बहुत शुभकामनाएं।

 

प्रस्तुति - एकलव्य

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