बृज रज की गाथा

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  • Jeevan Mantra

प्रस्तुति - बलदेव शर्मा

विष्णुजी के व्रज में कृष्ण रूप में अवतार लेने की बात जब देवताओ को पता लगी तो सभी बाल कृष्ण की लीला के साक्षी बनने को लालायित हो गए।

देवताओं ने व्रज में कोई ग्वाला, कोई गोपी, कोई गाय, कोई मोर तो कोई तोते के रूप में जन्म ले लिया। कुछ देवता और ऋषि रह गए। वे सभी ब्रह्माजी के पास आये और कहने लगे कि ब्रह्मदेव आप ने हमें व्रज में क्यों नही भेजा ? आप कुछ भी करिए, किसी भी रूप में भेजिए। 

ब्रह्मा जी बोले व्रज में जितने लोगों को भेजना संभव था उतने लोगों को भेज दिया है। अब व्रज में कोई भी जगह खाली नहीं बची है। 

देवताओं ने अनुरोध किया प्रभु आप हमें ग्वाले ही बना दें। ब्रह्माजी बोले जितने लोगों को बनाना था उतनों को बना दिया। और ग्वाले नहीं बना सकते। 

 

देवता बोले प्रभु ग्वाले नहीं बना सकते तो हमे बरसाने को गोपियां ही बना दें।

ब्रह्माजी बोले अब गोपियों की भी जगह खाली नही है। 

 

देवता बोले गोपी नहीं बना सकते, ग्वाला नहीं बना सकते तो आप हमें गायें ही बना दें। 

ब्रह्माजी बोले गाएं भी खूब बना दी हैं। अकेले नन्द बाबा के पास नौ लाख गाएं हैं। अब और गाएं नहीं बना सकते।

 

देवता बोले प्रभु चलो मोर ही बना दें। नाच-नाच कर कान्हा को रिझाया करेंगे। 

ब्रह्माजी बोले मोर भी खूब बना दिए। इतने मोर बना दिए की व्रज में समा नहीं पा रहे। उनके लिए अलग से मोर कुटी बनानी पड़ी।

 

देवता बोले तो कोई तोता, मैना, चिड़िया, कबूतर, बंदर कुछ भी बना दीजिए। 

ब्रह्माजी बोले वो भी खूब बना दिए। पुरे पेड़ भरे हुए हैं पक्षियों से। 

 

देवता बोले तो कोई पेड़-पौधा, लता-पता ही बना दें।

ब्रह्मा जी बोले पेड़-पौधे, लता-पता भी मैंने इतने बना दिए कि सूर्यदेव मुझसे रुष्ट हैं। उनकी किरनें भी बड़ी कठिनाई से व्रज की धरती को स्पर्श करती हैं। 

 

देवता बोले प्रभु कोई तो जगह दें। हमें भी व्रज में भेजिए। 

ब्रह्मा जी बोले- कोई जगह खाली नही है।

 

तब देवताओ ने हाथ जोड़ कर ब्रह्माजी से कहा प्रभु अगर हम कोई जगह अपने लिए ढूंढ़ के ले आएं तो आप हम को व्रज में भेज देंगे ? 

ब्रह्मा जी बोले - हाँ तुम अपने लिए कोई जगह ढूंढ़ के ले आओगे तो मैं तुम्हें व्रज में भेज दूंगा।

देवताओ ने कहा धुल और रेत कणों की तो कोई सीमा नहीं हो सकती। और कुछ नहीं तो बालकृष्ण लल्ला के चरण पड़ने से ही हमारा कल्याण हो जाएगा। हम को व्रज में धूल रेत ही बना दें। 

 

*ब्रह्मा जी ने उनकी बात मान ली।*

 

इसलिए जब भी व्रज जाये तो धूल और रेत से क्षमा मांग कर अपना पैर धरती पर रखें। क्योंकि व्रज की रेत भी सामान्य नही है। *वो रज तो देवी देवता, ऋषि-मुनि हैं।* 

 

*!! प्रेम से बोलो - जय जय श्री राधे कृष्ण!!*

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