उत्तर प्रदेश, मथुरा : विश्व संगीत कुम्भ का 33वाँ दिन, विशेष पूजा-अर्चना सम्पन्न

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अंतिम सप्ताह की पूर्व संध्या पर संयोजिका डॉ. रेनू जौहरी ने दिया भावभीना उद्बोधन। 

 

मथुरा 24 अगस्त 2020

 

जिस महान "विश्व संगीत कुम्भ" के आयोजन की प्रेरणा स्वयं पद्मभूषण पं० सामता प्रसाद उर्फ गुदई महाराज जी ने इस 40 दिवसीय महान अनुष्ठान की मुझे दी उसका निर्बाध 33 वां दिन सानंद संपन्न हुआ। पीछे मुड़कर देखने पर हर्ष-मिश्रित आश्चर्य होता है कि वह कौन सी ऐसी शक्ति है जिसके सहारे 33 दिन की लंबी सुरीली लयात्मक यात्रा संपन्न हो चुकी है। भीतर से ही उत्तर मिलता है।

श्रद्धा-समर्पण युक्त कठोर श्रम, दैवी शक्तियों की कृपा व तबले के देवता पद्मभूषण पं० सामता प्रसाद जी का आशीर्वाद। इस राह पर बहुत सच्चे सहयोगी मिले-एक जो स्वयं महाराज जी के प्रमुख शिष्यों में है संगीत-मनीषी डॉ० राजेंद्र कृष्ण अग्रवाल सर, जिन्होंने महत्तर दायित्व बहुत श्रद्धा से उठा रखे हैं व नित्यप्रति संचालन का दायित्व निभाने वाली नीराजना शर्मा जी, जो सकारात्मक ऊर्जा से इस आयोजन को ओतप्रोत बनाए हैं।

इस आयोजन से जुड़े सभी कलाकारों को श्रद्धावनत हो प्रणाम करती हूँ जो  सदी के अप्रतिम कलाकार के चरणों में अपनी कला को समर्पित कर धन्य बना रहे हैं। मात्र एक सप्ताह का समय शेष बचा है। अगले रविवार को इस अनूठे "विश्व संगीत कुंभ" का विसर्जन समारोह है। यह सप्ताह बहुत विशिष्ट है। एक से बढ़कर एक कलाकार प्रस्तुतियां देंगे। यह 30 अगस्त को चरमोत्कर्ष पर पहुंचेगा व विधिवत संपन्न होगा।आप ने कल्पना भी नहीं की होगी ऐसा होगा "विश्व संगीत कुम्भ" का विसर्जन समारोह। मैं इस आयोजन से जुड़े सभी विशिष्ट गणों, आयोजन समिति के सदस्य - डॉ० शशि भारद्वाज, प्रो० पंकज माला शर्मा, श्री राजीव किशोर श्रीवास्तव, सभी प्रमुख व सहयोगी कलाकार, सभी श्रोता/ दर्शक गण व महाराज जी के दुनिया भर में चाहने वाले सभी से अनुरोध करती हूं कि 30 अगस्त को इस समारोह का हिस्सा बनें।

जिस दिव्य/ पवित्र कलश में समस्त देवी-देवताओं का आह्वान  किया उन सभी दिव्य शक्तियों को पुष्प - अक्षत - जल से मेरे साथ भावभीनी विदाई देंगे और अपनी भूलों का प्रायश्चित करते हुए उन शक्तियों  से भविष्य में इस तरह के महनीय अनुष्ठानों में पुनः विराजित होने की प्रार्थना करेंगे। पद्मभूषण पं० सामता प्रसाद ट्रस्ट ऑफ तबला के सभी तीन श्रेणियों के सदस्य महाराज जी की स्मृति में दीप-प्रज्ज्वलन की प्रक्रिया संपन्न करें।

विश्व संगीत के 33वें दिन सर्वप्रथम संतूर कलाकार राजकुमार मजूमदार ने राग मारवा में आलाप-जोड़-झाला प्रस्तुत किया। फिर मत्त ताल (9 मात्रा) व तीन ताल में मध्य लय व द्रुत लय की गतें प्रस्तुत कर महाराज जी को श्रद्धांजलि अर्पित की।

दूसरी प्रस्तुति मुंबई के विवेक मिश्र की रही। आप बनारस के पं० भोलानाथ मिश्र जी के सुपुत्र हैं व योग्य तबला कलाकार भी। आपने विशुद्ध बनारस बाज की अवतारणा तबले पर की। पराल, ठेके का बांट, कायदा, बांट, बांट का छंद आधारित रेला, गत, फर्द, टुकड़े, परण, चक्रदार व विभिन्न कलाकारों की बंदिशों का सुंदर पढ़ंत करते हुए वादन किया। दोनों कलाकारों ने महाराज जी की स्मृति में दिये प्रज्ज्वलित किये।

संगीत-मनीषी डॉ० राजेंद्र कृष्ण अग्रवाल ने सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया। इस ऑनलाइन समारोह में ट्रस्ट की सचिव व विश्व संगीत कुम्भ की संयोजिका डॉ० रेनू जौहरी, अध्यक्ष श्रीमती शकुन्तला जौहरी, संरक्षिका डॉ० शशि भारद्वाज, पर्यवेक्षक प्रो० पंकज माला शर्मा व श्री राजीव किशोर श्रीवास्तव, डॉ० सीमा जौहरी, प्रो० विद्याधर प्रसाद मिश्र, पं० भोलानाथ मिश्र, विजय मिश्र, आलिशा मिश्र, डॉ० संध्या वर्मा, डॉ० कविता श्रीवास्तव, एकता विशाल बंसल, नागेन्द्र मिश्र, शिवांगी सक्सेना, एकता गुप्ता, विक्की कुमार आदि उपस्थित रहे।

ऊर्जा श्रीवास्तव, कामिनी निषाद, स्फूर्ति श्रीवास्तव, इंदाली शर्मा, दर्शी श्रीवास्तव, आलोक अग्रवाल, अंतस प्रकाश ने सक्रिय योगदान दिया।

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